बीजापुर के किसानों को मिर्ची की खेती से होगा प्रति एकड़ डेढ़ लाख रूपए की कमाई

SHARE THE NEWS

रायपुर, 10 अक्टूबर 2021 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लोकवाणी की 22वीं कड़ी में आज जनता से हुए रू-ब-रू ‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह‘ विषय पर बातचीत कर रहे थे। इस विषय पर यह लोकवाणी की दूसरी कड़ी है। मुख्यमंत्री की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी का प्रसारण आज आकाशवाणी के सभी केन्द्रों, एफ.एम. रेडियो और क्षेत्रीय समाचार चैनलों में किया गया।

महिला समूहों का 13 करोड़ रूपए का कालातीत ऋण माफ

राजनांदगांव जिले के ग्राम मनगटा के प्रियंबिका स्व-सहायता समूह की रामेश्वरी साहू ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीण महिलाओं की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वे स्वयं गौठान में वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण सहित विभिन्न गतिविधियों से जुड़ी है। उनके गांव की 28 समूहों की 50 दीदियों ने रक्षा बंधन पर्व पर धान, बीज, गेहूं, चावल, बांस की राखियों का निर्माण किया था।

ई-कॉमर्स पर लगभग दो लाख 30 हजार से अधिक राशि की 25 हजार से अधिक राखियों का देश-विदेश में ऑनलाईन व ऑफलाईन विक्रय किया गया। उन्होंने बताया कि हम लोगों द्वारा बनाई गई राखी राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने अमेजान से मंगाकर आपको बांधी थी।

उन्होंने कहा कि हम लोग द्वारा बनाई राखी पहनकर आपने हमारा मान-सम्मान बढ़ाया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में महिला स्व-सहायता समूहों को मजबूत करने के लिए अनेक कदम उठाएं गए हैं। हमारी बहनों ने भी रोजगार मूलक कार्यों में दिलचस्पी दिखाई है।

इसके साथ-साथ ही अपने गांव की सुरक्षा और कुरीतियों के खिलाफ जंग छेड़ने के साथ समूह की महिलाओं ने अनेक नवाचार किए हैं और अपने परिवार को स्वावलंबी बनाया है। तीजा-पोरा के अवसर पर महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा महिला कोष से लिए गए लगभग 13 करोड़ रूपए के कालातीत ऋण माफ किया गया। इससे अब वे नया ऋण ले सकेंगी।

महिला कोष से महिला समूहों को दी जाने वाली राशि दो करोड़ रूपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रूपए कर दी गई है और ऋण सीमा को एक लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दिया गया है। इससे महिला समूहों को अपने कारोबार के विस्तार में कोई समस्या नहीं होगी।

राजनांदगांव जिले के महिला समूहों द्वारा बनाई गई लगभग 22 हजार 480 राखियों का विक्रय ई-कॉमर्स के माध्यम से हुआ है। वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री भी ई-कॉमर्स पर करने की व्यवस्था की गई है, इससे महिला समूहों को नया बाजार मिलेगा।

जिलों में जनसमस्या निवारण की सुविधाजनक प्रणाली विकसित करें
सूरजपुर जिले की गुरूचंदा ठाकुर ने सूरजपुर जिले में जनसमस्याओं के निवारण के लिए जिला प्रशासन द्वारा प्रारंभ किए गए जन संवाद कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी और गांव के अनेक लोगों की अनेक समस्याओं का समाधान इस नई व्यवस्था से हुआ है। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कहा कि जिला स्तर पर की गई इस पहल का लाभ लोगों को मिल रहा है।

आदिवासी अंचल और वन क्षेत्र होने के कारण आवागमन की दिक्कत भी है। जिसके कारण लोगों को सरकारी ऑफिस में पहुंचना कठिन होता है। सूरजपुर जिले में जन संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत कॉल सेंटर के माध्यम से जिला मुख्यालय में सभी विकासखण्ड मुख्यालयों की समस्याएं सुनी जाती हैं। फोन रिसीव किए जाते हैं और आवेदन की कापी व्हाट्सअप पर ली जाती है।

ज्यादातर मामलों में 24 घंटे के भीतर समस्या का समाधान हो जाता है। कॉल सेंटर के माध्यम से राजस्व संबंधी सीमांकन, बटांकन, ऋण पुस्तिका, ऑनलाईन रिकार्ड आदि सारे काम हो रहे हैं। किसी को पेंशन में समस्या है, राशन कार्ड बनवाना है, नाम जुड़वाना है, सड़क, नाली, पुल-पुलिया, सामुदायिक भवन आदि की मांग है।

पीडीएस दुकान, स्वास्थ्य केन्द्र के बारे में कुछ कहना है, जनपद में निर्माण संबंधी कार्यों के प्रस्ताव हों या भुगतान की समस्या। बिजली आपूर्ति को लेकर कोई शिकायत है। ऐसे सभी मामले इस प्रणाली से हल हो रहे हैं।

मुझे खुशी है कि इस व्यवस्था से संतुष्ट लोग फोन करके जानकारी भी दे रहे हैं। इसीलिए मैंने पूरे प्रदेश में जिला प्रशासन को खुली छूट दी है कि वे मौलिक तरीके से या स्थानीय जरूरतों और विशेषताओं के अनुसार जनसमस्या निवारण की अपनी प्रणाली विकसित करें। ऐसे नवाचारों का खूब स्वागत है।

बीजापुर जिले के किसान मिर्ची की खेती से प्रति एकड़ कमाएंगे डेढ़ लाख रूपए
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साधन उपलब्ध कराने और लोगों को आर्थिक मदद देने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लोकवाणी में उल्लेख करते हुए कहा कि प्रदेश में खेती-किसानी और परंपरागत रोजगार के अवसरों को मजबूत करने के अनेक उपाए किए जा रहे हैं जिससे लोगों को आर्थिक मदद मिल सके।

उन्होंने कहा कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना, सुराजी गांव योजना, गोधन न्याय योजना, वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी, लघु धान्य फसलें जिन्हें मिलेट्स कहा जाता है उनके उत्पादन और प्रसंस्करण की व्यवस्था, सिंचाई के लिए निःशुल्क पानी की व्यवस्था, कृषि ऋण माफी, सिंचाई कर माफी, पौनी-पसारी योजना जैसे अनेक कामों से गांव वालों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। हम हर समस्या का समाधान चाहते हैं।

बीजापुर जिले के चंदूर गांव के देवर किष्टैया ने लोक वाणी में रिकॉर्ड किए गए संदेश के माध्यम से बताया कि गांव में बारहमासी रोजगार के अवसर नहीं होने के कारण अनेक ग्रामीण नदी पार तेलंगाना मिर्ची के खेतों में मिर्ची तोड़ाई के लिए जाते थे, लेकिन बचत नहीं हो पाती थी।

नई सरकार आने के बाद जिला प्रशासन द्वारा मिर्ची की खेती के लिए दिए गए सहयोग से अब चंदूर तथा पड़ोसी गांव कोत्तूर और तारलागुड़ा में मिर्ची की खेती की जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा बीज खाद, पंप, नलकूप, ड्रिप सिस्टम, मल्चिंग, विद्युत एवं फेंसिंग जैसी मूलभूत सुविधाएं निःशुल्क प्रदाय की गई है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजापुर जिले के चंदूर, तारलागुड़ा और कोत्तूर गांव में जिला प्रशासन द्वारा मिर्ची की खेती की जो पहल की गई है। इससे इन तीन गांवों में 155 एकड़ जमीन के स्वामी 78 किसान परिवारों को मिर्ची की खेती के लिए तैयार किया गया है।

डीएमएफ एवं मनरेगा के माध्यम से खेतों की फेंसिंग, बीज, खाद, बोर, ड्रिप इरिगेशन, मल्चिंग एवं विद्युत आदि प्रारंभिक व्यवस्था करके नर्सरी तैयार कर ली गई है। इस तरह जो लोग पहले मूंग की खेती करके प्रति एकड़ लगभग 10 हजार रुपए कमाते थे, वे मिर्ची की खेती करके,

एक से डेढ़ लाख रुपए तक प्रति एकड़ कमाएंगे। इसके अलावा मिर्ची तोड़ने के काम में स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार, बेहतर रोजी और अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी, जिससे वे अपने गांव, अपने घर और अपने परिवार में रहते हुए काफी राशि बचा सकेंगे।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *