मुख्यमंत्री भूपेश बघेल Archives - REVOLT NEWS INDIA http://revoltnewsindia.com/tag/मुख्यमंत्री-भूपेश-बघेल/ News for India Fri, 11 Mar 2022 17:03:04 +0000 en hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 http://revoltnewsindia.com/wp-content/uploads/2020/05/cropped-LLL-2-32x32.png मुख्यमंत्री भूपेश बघेल Archives - REVOLT NEWS INDIA http://revoltnewsindia.com/tag/मुख्यमंत्री-भूपेश-बघेल/ 32 32 174330959 छत्तीसगढ़ सरकार के बजट से सभी वर्गों को लाभ दिलाने का प्रयास : भूपेश बघेल http://revoltnewsindia.com/efforts-are-being-made-to-benefit-all-sections-from-the-budget-of-chhattisgarh-government-bhupesh-baghel/6952/ http://revoltnewsindia.com/efforts-are-being-made-to-benefit-all-sections-from-the-budget-of-chhattisgarh-government-bhupesh-baghel/6952/#respond Fri, 11 Mar 2022 17:03:02 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=6952 छत्तीसगढ़ के किसानों और मजदूरों के हित में यदि हमें कर्ज लेना पड़े तो हम लेंगे, राज्य को मिलने वाले केन्द्रीय कर और अनुदान का हिस्सा लगातार हो रहा कम,…

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छत्तीसगढ़ के किसानों और मजदूरों के हित में यदि हमें कर्ज लेना पड़े तो हम लेंगे, राज्य को मिलने वाले केन्द्रीय कर और अनुदान का हिस्सा लगातार हो रहा कम, लाखों अधिकारियों-कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने लागू की गई पुरानी पेंशन योजना, मुख्यमंत्री ने विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2022-23 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा का दिया जवाब

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2022-23 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार का यह प्रयास है कि बजट का लाभ सभी वर्गों को मिले। गरीबों के जीवन स्तर में बदलाव आए। सभी को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अच्छे अवसर मिले। गरीबों, आदिवासियों और आम लोगों की जेब में सीधे पैसा जाए और उनके जीवन में बदलाव आए।

उन्होंने कहा कि बजट में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। लोगों को राशन, बिजली, किसानों को निःशुल्क बिजली की व्यवस्था, किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना और भूमिहीन कृषि मजदूरों को राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के माध्यम से सहायता दी जा रही हैं। लाखों अधिकारियों-कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करते हुए पुरानी पेंशन योजना लागू की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसानों और मजदूरों के हित में यदि हमें कर्ज लेना पड़े तो हम लेंगे, इनको धोखा नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों से किया गया वादा निभाया है। किसानों को धान का 2500 रूपए क्विंटल देने का वादा किया था। लगातार इसे रोकने की कोशिश की गई। लेकिन हमने कहा कि इससे एक रूपए भी कम नहीं होगा। हमने अपना वादा निभाया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सदन में पूरे बजट के दौरान एक बार भी हमारे सदन के सदस्यों ने टोका-टाकी नहीं की, यह इस बजट की सफलता है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने खराब गुणवत्ता की इतनी पतली सड़क बनाई की तीन साल में ही उखड़ गई। उस समय छत्तीसगढ़ नक्सलगढ़ के नाम से जाना जाता था, लेकिन आज नक्सल घटनाओं में कमी आई है।

मुख्यमंत्री ने विपक्ष से कहा कि आपने बोनस नहीं दिया और अब हमें कहते हैं कि बोनस दो। पहले केन्द्रीय योजनाओं में केन्द्र का हिस्सा 90 प्रतिशत होता था। बाद में यह 60 प्रतिशत और वर्तमान में राज्य और केन्द्र का हिस्सा 50-50 प्रतिशत हो गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने किसानों की कर्जमाफी की, 25 सौ में धान खरीदा, आज किसान अपने पसंद का मकान बना रहे हैं।

उन्होंने केन्द्र सरकार के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए कहा कि राष्ट्रीय गुणवत्ता परीक्षकों के माध्यम से पिछले तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ में निर्मित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों का परीक्षण करवाया गया, जिसमें 99.75 प्रतिशत कार्य संतोषप्रद पाया गया। छत्तीसगढ़ सड़क निर्माण में 85 प्रतिशत उपलब्धि के साथ देश में प्रथम स्थान पर है। इसके लिए भारत सरकार ने 221 करोड़ रूपए का पुरस्कार छत्तीसगढ़ को प्रदान किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 में 6000 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत की निविदा जारी की गई है, 3342 किलोमीटर की स्वीकृति जारी की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार छत्तीसगढ़ को अनुदान और केन्द्रीय करों में हिस्सा कम दे रही है। जबकि हम राज्य के राजस्व में लगातार वृद्धि कर रहे है। ऐसा पहली बार हुआ है कि केन्द्रीय कर अनुदान और छत्तीसगढ़ का राजस्व बराबर है। छत्तीसगढ़ का राजस्व 44 हजार 500 करोड़ रूपए और केन्द्रीय कर अनुदान भी 44 हजार 500 करोड़ रूपए है। उन्होंने जीएसडीपी के संबंध में कहा कि वर्ष 2021-22 में छत्तीसगढ़ का जीएसडीपी 11.54 जबकि केन्द्र का 9.2 प्रतिशत रहा। वर्ष 2020-21 में जब कोरोना पीक पर था, केन्द्र का जीएसडीपी माईनस 7.7 था।

उस समय छत्तीसगढ़ में इसे 1.7 में रोकने में सफलता पायी। छत्तीसगढ़ ने उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक से कम ऋण लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के 15 साल में 4 मेडिकल कॉलेज प्रारंभ हुए। हमारे तीन वर्ष में कोरबा, कांकेर, महासमुंद मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति मिली और दुर्ग के निजी मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण किया गया। राज्य में कुपोषण में कमी आई है। हम बीपीएल और एपीएल परिवारों को 35 किलो प्रति परिवार चावल दे रहे हैं। राज्य सरकार 68 लाख कार्डधारियों को राशन दे रही है। इस बजट में हर वर्ग का ख्याल रखा गया है। राज्य सरकार नौकरी दे रही है, इसलिए हमारा स्थापना व्यय बढ़ा है।

मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इस योजना से पशुपालन और डेयरी के व्यवसाय के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है, खेत की सुरक्षा हो रही है। प्रधानमंत्री ने भी छत्तीसगढ़ में किए गए गोबर से नवोन्वेष को पूरे देश में लागू करने की बात कही है। केन्द्र सरकार और लोकसभा का दल छत्तीसगढ़ की इस योजना के अध्ययन के लिए आ रही है।

उन्होंने स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल का उल्लेख करते हुए कहा कि इस वर्ष हिन्दी माध्यम के 32 स्वामी आत्मानंद स्कूल प्रारंभ किए जाएंगे। हमारी कोशिश होगी कि हर जिले में कम से कम ऐसा एक स्कूल प्रारंभ हो। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में बस्तर और सरगुजा में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हुई हैं। वहां विशेषज्ञ डॉक्टरों सहित चिकित्सा उपकरणों और सुविधाओं की व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने शराब और गांजे की अवैध तस्करी रोकने का काम किया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत भू-भाग में वन है। हमारी कोशिश है कि वनों में रहने वाले लोगों के जीवन में परिवर्तन आए। इन क्षेत्रों में वन अधिकार पट्टों का वितरण किया गया है। वहीं कोरोनाकाल में भी लघुवनोेपजों की खरीदी की गई है। छत्तीसगढ़ ऐसा अकेला राज्य है जहां कोदो-कुटकी और रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है।

लाख पालन और मछलीपालन को कृषि का दर्जा दिया गया है। हमारी कोशिश है कि लोगों की आय बढ़े, उनके जीवन स्तर में बदलाव आए, कुपोषण खत्म हो और लोगों को रोजगार मिले। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के समय कमलविहार जैसी आवासीय योजनाएं प्रारंभ की गई, नई राजधानी बनाई गयी, लेकिन लोग वहां नहीं बस रहे हैं। इन योजनाओं के लिए आपने कर्ज लिया जिसे हम पटा रहे हैं।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 9 मार्च को पेश करेंगे छत्तीसगढ़ का बजट, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत ने दी जानकारी http://revoltnewsindia.com/chief-minister-bhupesh-baghel-will-present-the-budget-of-chhattisgarh-on-march-9-assembly-speaker-dr-mahant-gave-information/6787/ http://revoltnewsindia.com/chief-minister-bhupesh-baghel-will-present-the-budget-of-chhattisgarh-on-march-9-assembly-speaker-dr-mahant-gave-information/6787/#respond Sat, 05 Mar 2022 13:47:00 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=6787 रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का बजट 9 मार्च को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पेश करेंगे। बजट सत्र के बारे में पूरी जानकारी मीडिया से साझा करने के लिए आयोजित प्रेस वार्ता में…

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रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का बजट 9 मार्च को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पेश करेंगे। बजट सत्र के बारे में पूरी जानकारी मीडिया से साझा करने के लिए आयोजित प्रेस वार्ता में छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने बताया कि पहली बार विधानसभा द्वारा विधायकों से प्रश्न ऑनलाइन मंगाए गए और विभागों से उत्तर भी ऑनलाइन मंगाए गए। वहीं मुद्रण के लिए भी सारे मैटर ऑनलाइन भेजे गए, इसका क्या लाभ होगा इसके लिए बाकायदा IIT से अध्ययन भी कराया गया।

इस तरह होगा विधानसभा का बजट सत्र
छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 7 मार्च से प्रारंभ होकर 25 मार्च तक चलेगा। इस बीच कुल 13 बैठकें आयोजित की जाएंगी। 7 मार्च को राज्यपाल का अभिभाषण होगा, साथ ही 7 को ही तीसरा अनुपूरक बजट भी आएगा। 8 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा होगी। 9 मार्च को 12:30 बजे मुख्यमंत्री और वित्त विभाग के भारसाधक मंत्री भूपेश बघेल बजट पेश करेंगे। बजट पर 10 मार्च को चर्चा होगी। 11 से 23 मार्च तक विभागवार चर्चा होगी।

90% प्रश्न पूछे गए ऑनलाइन
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत ने बताया कि विधायकों की और से कुल 1682 प्रश्न विधानसभा सचिवालय को आये जिसमे 1499 प्रश्न ऑनलाइन पहुंचे। यह आंकड़ा लगभग 90%होता है।

IIT खड़गपुर की टीम ने किया अध्ययन
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत ने बताया कि ऑनलाइन प्रक्रिया के अपनाने से क्या लाभ होगा इसकी जानकारी हासिल करने के लिए IIT खड़गपुर की टीम से अध्ययन कराया गया। इसके चौकाने वाले रिपोर्ट सामने आये हैं। उन्होंने बताया कि पेपरलेस काम करने से कागज के 4 लाख 50,000 पन्ने याने 2.2 टन कागज की बचत हुई है।

इससे 58 वृक्ष प्रति वर्ष कटने से बचेंगे, वहीं 73 फ्रिज में जितनी बिजली की साल भर में खपत होती है, उतनी बिजली की बचत हुई। इसके अलावा 1 लाख लीटर पानी की बचत होगी, पेपर लेस काम करने से 18 ट्रकों से जो परिवहन होता था, उसकी जरुरत नहीं पड़ेगी, और ऐसा करने से पर्यावरण में सल्फर डाई ऑक्साइड कम निकलेगी। डॉ महंत ने इसे अच्छी परंपरा की शुरुवात बताया।

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रेशम विभाग दिखा रहा समृद्धि की राह… http://revoltnewsindia.com/the-silk-department-is-showing-the-path-of-prosperity/6701/ http://revoltnewsindia.com/the-silk-department-is-showing-the-path-of-prosperity/6701/#respond Thu, 03 Mar 2022 08:47:48 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=6701 रायपुर। राज्य के वनांचल में रहने वाले ग्रामीणों को रेशम विभाग समृद्धि की राह दिखा रहा है। रेशम विभाग द्वारा संचालित मलबरी रेशम विकास एवं विस्तार योजना और को कोसा…

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रायपुर। राज्य के वनांचल में रहने वाले ग्रामीणों को रेशम विभाग समृद्धि की राह दिखा रहा है। रेशम विभाग द्वारा संचालित मलबरी रेशम विकास एवं विस्तार योजना और को कोसा बीज केंद्र से जुड़े लोगों को कृषि के साथ आय के अतिरिक्त साधन उपलब्ध हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप मंत्री गुरु रूद्रकुमार के निर्देशानुसार ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके तहत रेशम विभाग द्वारा अनेक रोजगारमूलक गतिविधियां संचालित की जा रही है।

रेशम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बलरामपुर जिले में संचालित मलबरी रेशम केंद्र राजपुर में गठित स्व-सहायता समूह से जुड़े हितग्राहियों द्वारा वर्ष 2021-22 में समूह द्वारा कृमिपालन कर 3 हजार 508 किलोग्राम मलबरी कोसा का उत्पादन एवं सब्जी उत्पादन और मछलीपालन से कुल 5 लाख 95 हजार 678 रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया।

जिसके तहत केंद्र से जुड़े हितग्राहियों ने मलबरी कोसा उत्पादन से 5 लाख 66 हजार 178 रुपए, सब्जी उत्पादन कर 7 हजार 450 रुपए और मछली पालन से 22 हजार 50 रुपए का शुद्ध आय अर्जित किया।

इसी तरह कोरिया जिले के कोसा बीज केंद्र केल्हारी में विभागीय योजनांतर्गत 103 हितग्राहियों द्वारा 10 हजार 395 डिम्ब स्व. समूह पाले गए, जिसमें कुल 4 लाख 37 हजार 200 कोसा बीज का उत्पादन कर 39 लाख 8 हजार 122 रुपए की आय हुई। इसके साथ ही रैली और डाबा प्रगुणन कैंपों में 45 हितग्राहियों को भी लाभान्वित किया गया। इसी तरह मनरेगा योजना अंतर्गत कोसा बीज केंद्र केल्हारी में 6 हजार 414 मानव दिवस का रोजगार सृजन कर 12 लाख 38 हजार रूपए का भुगतान कर 175 हितग्राहियों को लाभांन्वित किया गया।

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नक्सलगढ़ में फिर फैल रहा ज्ञान का उजियारा… http://revoltnewsindia.com/the-light-of-knowledge-is-spreading-again-in-naxalgarh/6658/ http://revoltnewsindia.com/the-light-of-knowledge-is-spreading-again-in-naxalgarh/6658/#respond Wed, 02 Mar 2022 10:55:09 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=6658 नक्सल प्रभावित सुकमा ज़िले के 123 बंद शालाओं का हुआ पुनः संचालन, 45 शालाओं के पक्के भवनों तैयार, 49 भवनों का निर्माण कार्य प्रगति पर रायपुर। राज्य सरकार द्वारा नक्सल…

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नक्सल प्रभावित सुकमा ज़िले के 123 बंद शालाओं का हुआ पुनः संचालन, 45 शालाओं के पक्के भवनों तैयार, 49 भवनों का निर्माण कार्य प्रगति पर

रायपुर। राज्य सरकार द्वारा नक्सल क्षेत्रों में विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति अब रंग ला रही है। सुकमा ज़िले के कोण्टा विकासखंड में नक्सलवाद के चलते 15 साल से बंद स्कूलों को फिर से शुरू करने में सफलता मिली है। इससे सुदूर वनांचल में रहने वाले बच्चों का भविष्य संवरने लगा है।

संवेदनशील क्षेत्र चिंतलनार और जगरगुंडा में सफलतापूर्वक फिर से स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। इन संवेदनशील क्षेत्रों के स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन का काम स्थानीय युवाओं की मदद से किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विशेष पहल पर बीते तीन वर्षों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बंद स्कूलों को दोबारा खोलने का प्रयास को बहुत बड़ी सफलता मिल रही है। ग्रामीणों के सहयोग से जिला प्रशासन ने पंचायतों के माध्यम से शाला संचालन के लिए झोपड़ियां तैयार की।

प्रत्येक शाला के लिए अस्थायी शेल्टर निर्माण के लिए 40 हजार रुपये का प्रावधान किया। ऐसे सभी बच्चें जो 15 वर्षों से अधिक समय तक शिक्षा से वंचित रह गए थे, उनकी शिक्षा सुविधाओं में कोई कमी न हो इसके लिए प्रशासन निरंतर काम कर रहा है।

जिला प्रशासन द्वारा बच्चों की शिक्षा सुचारू रूप से संचालित करने के लिए झोपड़ियों के स्थानों पर पक्के भवन बनना शुरू किया गया है। इसके तहत पहले चरण में 45 शाला भवनों का निर्माण कर लिया गया है तथा 49 भवनों का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

पंद्रह साल पहले नक्सली हिंसा के चलते विकासखंड कोण्टा के 123 स्कूल बंद हो गए थे। नक्सलियों ने दर्जनों स्कूल भवनों को ढहा दिया था। जिनमें 100 प्राथमिक, 22 माध्यमिक एवं 01 हाईस्कूल शामिल है। अंदरूनी इलाकों में स्कूल भवनों को माओवादियों ने इसलिए ढहा दिया था, ताकि फोर्स वहां ना रुक पाए।

युवाओं को मिल रहा रोजगार
सुदूर वनांचलों में बसे इन अति संवेदनशील ग्रामों में बच्चों को पढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर स्थानीय शिक्षित बेरोजगार युवाओं को चिन्हांकित कर उन्हें अध्यापन कार्य के लिए प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षित के बाद 97 युवकों को पंचायत स्तर पर नियुक्त किया गया है।

इन युवाओं को ज़िला प्रशासन की तरफ से प्रतिमाह ग्यारह हजार रुपये का मानदेय दिया जा रहा है। इन शिक्षादूतों ने लगभग 4000 से अधिक बच्चों को चिन्हांकित किया जो शाला और शिक्षा से वंचित हो चुके थे।

चिंतलनार स्कूल अब बच्चों से है गुलजार
नक्सल हिंसा के प्रभाव के चलते बन्द हो चुके हाई स्कूल चिंतलनार को सत्र 2021-22 में पुनः प्रारंभ किये जाने के बाद अब यहां के बच्चों को कहीं भटकना नहीं पड़ रहा है। इस इलाके के अति संवेदनशील और नक्सल हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित ग्राम जगरगुंडा का हायर सेकंडरी स्कूल, माध्यमिक शाला, कन्या/बालक छात्रावास जो बीते वर्षों दोरनापाल में संचालित किया जा रहा था, वह अब सर्व सुविधाओं के साथ जगरगुंडा में ही संचालित किया जा रहा है।

इस तरह ग्राम भेज्जी, किस्टाराम, गोलापल्ली, सामसट्टी की शिक्षण एवं आवासीय संस्थाएं जो कि कोण्टा, मरईगुड़ा, दोरनापाल मुख्यालय में संचालित की जाती रही अब वह सम्पूर्ण सुविधाओं के साथ उनके मूल ग्रामों में संचालित किए जाने से यहां के विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बड़ा है।

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राजिम अध्यात्म, धर्म और हमारी गौरवशाली संस्कृति का संगम: भूपेश बघेल http://revoltnewsindia.com/rajim-is-a-confluence-of-spirituality-religion-and-our-glorious-culture-bhupesh-baghel/6642/ http://revoltnewsindia.com/rajim-is-a-confluence-of-spirituality-religion-and-our-glorious-culture-bhupesh-baghel/6642/#respond Tue, 01 Mar 2022 16:03:00 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=6642 मुख्यमंत्री की उपस्थिति में राजिम माघी पुन्नी मेला का गरिमामय समापन, छत्तीसगढ़ी संस्कृति को मिल रहा है सम्मान, लक्ष्मण झूला का लोकार्पण: अंचल के लोगों को मिली ऐतिहासिक सौगात रायपुर,…

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मुख्यमंत्री की उपस्थिति में राजिम माघी पुन्नी मेला का गरिमामय समापन, छत्तीसगढ़ी संस्कृति को मिल रहा है सम्मान, लक्ष्मण झूला का लोकार्पण: अंचल के लोगों को मिली ऐतिहासिक सौगात

रायपुर, 01 मार्च 2022 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ का सुप्रसिद्ध तीर्थ राजिम मात्र एक शहर नहीं बल्कि आध्यात्म, धर्म और हमारी गौरवशाली संस्कृति का संगम है। राजिम के महत्व को देखते हुए हमने यहां राजिम माघी पुन्नी मेला को भव्यता प्रदान करने के लिए न केवल नये मेला स्थल के लिए 54 एकड़ जमीन आवंटित की है। बल्कि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला के निर्माण सहित अन्य सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।

मेले स्थल का तेजी से विकास किया जा रहा है। आज राजिम के त्रिवेणी संगम में 33.12 करोड़ रूपए की लागत से निर्मित लक्ष्मण झूले का लोकार्पण किया गया। मुख्यमंत्री बघेल आज राजिम माघी पुन्नी मेले के समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।

महानदी, पैरी और सोंढूर के पवित्र त्रिवेणी संगम के तट पर 16 फरवरी से 01 मार्च तक 15 दिनों तक चलने वाले श्रद्धा-भक्ति और आस्था के छत्तीसगढ़ के इस सबसे बड़े राजिम माघी पुन्नी मेला 2022 का भव्य समापन आज महाशिवरात्री के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ।

मुख्यमंत्री सहित अतिथियों ने भगवान राजीव लोचन की प्रतिमा में दीप प्रज्वलित कर पूजा अर्चना की और महानदी की आरती में शामिल होकर प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि की कामना की। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश के धर्मस्व, पर्यटन, गृह, जेल, लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू ने की। राजिम माघी पुन्नी मेला में इस वर्ष 10 लाख श्रद्धालुओं ने शामिल होकर धर्म और आस्था के संगम में डुबकी लगाई।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि विधायक अमितेष शुक्ल ने 15 दिन तक शराब पर प्रतिबंध लगाने कि बात कही थी जिसे हमने तुरंत स्वीकृति दे दी और 15 दिन राजिम सहित आस-पास के क्षेत्रों की शराब दुकानें भी बंद रही। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने वनवासकाल में सबसे ज्यादा समय छत्तीसगढ़ में बिताया।

राजिम से लेकर शिवरीनारायण तक का क्षेत्र कमल क्षेत्र कहलाता है। उन्होंने रामवनगमन पथ के संबंध में कहा कि इस पथ के लिए 9 महत्वपूर्ण स्थलों को पूरी भव्यता के साथ विकसित किया जा रहा है। इसमें राजिम महत्वपूर्ण पड़ाव है। मुख्यमंत्री ने कहा की राजिम को संवारने का कार्य हमारी सरकार द्वार किया जा रहा है। उन्होंने ने कहा कि हमारी नीति और योजनाओं से छत्तीसगढ़ के किसान समृध्दि की ओर बढ़ रहे हैं।

आज राज्य की संस्कृति, खानपान, रहन-सहन और व्यंजन का भी सम्मान हो रहा है। उन्होंने कहा की गोधन न्याय योजना की तारीफ प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं। बघेल ने कहा की गौठानों में विकसित किए जा रहे रुरल इंडस्ट्रीज पार्क के माध्यम से हमारे किसान और ग्रामीण भाई-बहन अब उद्योगकर्मी भी कहलायेंगे।

उन्होंने ने कहा की मजदूरों के लिए प्रारंभ की गई राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना से गरीबों की आय भी बढ़ेगी। उन्होने शानदार आयोजन के लिए स्थानीय प्रशासन एवं आम नागरिकों को बधाई दी।

इस अवसर पर धर्मस्व मंत्री ताम्रजध्वज साहू ने कहा की राज्य सरकार द्वारा हर वर्ष आयोजन को बेहतर रुप देने का प्रयास रहता है। जिसमें हम सफल हो रहे है। इस वर्ष लक्ष्मण झूला की सौगात अंचल वासियों को मिली है। इससे बारह महीने भगवान कुलेश्वरनाथ का दर्शन होगा। उन्होंने बताया की मेले में इस वर्ष लगभग 3 हजार हितग्राहियों को 98 करोड़ रुपये का विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित किया गया है।

राजिम विधायक अमितेश शुक्ल ने कहा की लक्ष्मण झूला की सौगात से अंचल वासियों में खुशी की लहर है। उन्होंने गोधन न्याय योजना अंतर्गत गोबर खरीदी के लिए धन्यवाद दिया साथ ही शराब बंदी के लिए मुख्यमंत्री का अभार व्यक्त किया।

अभनपुर विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य में हर वर्गों का विकास हो रहा है। कलेक्टर नम्रता गांधी ने मेले के आयोजन और वहां की गई व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने मेले के सफल आयोजन के लिए हर वर्ग का आभार व्यक्त किया।

समारोह में छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत रामसुन्दरदास महाराज, महंत गोवर्धन शरण महाराज, संत उमेशानंद महाराज, संत रविकर साहेब, ब्रम्हाकुमारी पुष्पा बहन, ब्रम्हाकुमारी हेमा बहन, संत विचार साहेब एवं विशिष्ट साधु-संतों की गरिमामयी मौजूदगी रही।

इस अवसर पर विधायक संगीता सिन्हा, भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव, वरिष्ठ अधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि, नागरिकगण मौजूद थे।

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PM के UP में दिए भाषण पर CM का तंज: भूपेश बघेल ने कहा-कथित ‘गुजरात मॉडल’ वालों ने ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ गुनगुनाया http://revoltnewsindia.com/cms-taunt-on-pms-speech-in-up-bhupesh-baghel-said-the-people-of-the-so-called-gujarat-model-hummed-the-chhattisgarh-model/6425/ http://revoltnewsindia.com/cms-taunt-on-pms-speech-in-up-bhupesh-baghel-said-the-people-of-the-so-called-gujarat-model-hummed-the-chhattisgarh-model/6425/#respond Mon, 21 Feb 2022 09:48:20 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=6425 छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फिर से तंज कसा है। प्रधानमंत्री के उत्तर प्रदेश की चुनावी सभा में दिए गए भाषण का हवाला देते हुए…

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फिर से तंज कसा है। प्रधानमंत्री के उत्तर प्रदेश की चुनावी सभा में दिए गए भाषण का हवाला देते हुए CM ने सोशल मीडिया पर लिखा, हमने छत्तीसगढ़ में कर दिखाया, हमारी नेता ने उत्तर प्रदेश में अपनाया, कथित ‘गुजरात मॉडल’ वालों ने आज मंच से ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ गुनगुनाया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की बात कर रहे थे। इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार गोठानों के जरिए दो रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मवेशियों का गोबर खरीदती है। वहीं गोठानों में मवेशियों के लिए डे-शेल्टर की व्यवस्था। यहां चारा-पानी की व्यवस्था सरकारी मदद से होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा, उत्तर प्रदेश में भी छुट्‌टा पशुओं की समस्या बहुत विकराल है। किसानों का कहना है, छुट्‌टा घूम रहे मवेशी फसलों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं। उनको भगाने के चक्कर में लोग घायल होते हैं और आपसी विवाद भी बढ़ रहे हैं। कांग्रेस ने गोधन न्याय योजना का वादा अपने मेनिफेस्टो में किया है। कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनाव के बाद छुट्‌टा पशुओं की समस्या के समाधान की योजना लागू करने का वादा किया है। उन्होंने कहा, गोबर बेचकर भी पैसा मिलने लगेगा तो लोग छुट्‌टा मवेशियों को भी घर में बांध लेने की सोचेंगे।

तीन दिन से उत्तर प्रदेश में हैं CM भूपेश
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 19 फरवरी से उत्तर प्रदेश में हैं। पहले दिन उन्होंने लखनऊ जिले की विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के लिए जनसभा की। रविवार को उन्होंने रायबरेली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ मंच साझा किया। उसके अलावा जिले की कई सीटों पर प्रचार किया। मुख्यमंत्री सोमवार को प्रयागराज जिले की सीटों पर प्रचार करने निकले हैं।

हर भाषण में न्याय योजनाओं की बात
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हर बार छत्तीसगढ़ मॉडल की हवाला दे रहे हैं। इसमें वे 2500 रुपए में धान खरीदने की बात, कर्ज माफी, भूमिहीन कृषि मजदूरों को सालाना 6 हजार रुपए देने वाली न्याय योजना की भी बात की है। गोबर खरीदने और छुुट्‌टा मवेशियों के प्रबंधन से जुड़ी गोधन न्याय योजना की बात उनकी सभाओं में जोर देकर कही जा रही है।

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छत्तीसगढ़ में उद्योग, व्यापार और कारोबार का बना बेहतर वातावरण : मुख्यमंत्री बघेल http://revoltnewsindia.com/industry-trade-and-business-have-created-a-better-environment-in-chhattisgarh-chief-minister-baghel/6235/ http://revoltnewsindia.com/industry-trade-and-business-have-created-a-better-environment-in-chhattisgarh-chief-minister-baghel/6235/#respond Sun, 13 Feb 2022 11:07:45 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=6235 लोकवाणी की 26वीं कड़ी प्रसारित, मुख्यमंत्री ने ‘‘सुगम उद्योग, व्यापार-उन्नत कारोबार’’ विषय पर प्रदेशवासियों से की बात, राज्य में आर्थिक गतिविधियों के साथ रोजगार बढ़ाने पर विशेष जोर, छत्तीसगढ़ में…

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लोकवाणी की 26वीं कड़ी प्रसारित, मुख्यमंत्री ने ‘‘सुगम उद्योग, व्यापार-उन्नत कारोबार’’ विषय पर प्रदेशवासियों से की बात, राज्य में आर्थिक गतिविधियों के साथ रोजगार बढ़ाने पर विशेष जोर, छत्तीसगढ़ में तीन वर्षों में 1,715 नये उद्योग स्थापित: 19,500 करोड़ रूपए से अधिक का निवेश तथा 33 हजार लोगों को मिला रोजगार,
बायो एथेनॉल प्लांट लगाने के लिए 18 निवेशकों से 3300 करोड़ रूपए के निवेश का एमओयू, छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन: पांच वर्षों में 15 लाख रोजगार के सृजन का लक्ष्य, राज्य के 110 विकासखण्डों में फूडपार्क की स्थापना के लिए भूमि चिन्हांकित, औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आवंटन नियमों का हुआ सरलीकरण, प्रदेश में 21 हजार करोड़ रूपए से अधिक लागत की सड़कों के निर्माण की कार्ययोजना,
छत्तीसगढ़ी खान-पान को प्रोत्साहित करने 16 जिलों में गढ़ कलेवा स्थापित, छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में चार संसाधनों खनिज, कृषि, वानिकी और मानव संसाधन का महत्वपूर्ण योगदान

रायपुर, 13 फरवरी 2022 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी की 26वीं कड़ी में आज ‘‘सुगम उद्योग, व्यापार-उन्नत कारोबार’’ विषय पर प्रदेशवासियों से बात-चीत की। मुख्यमंत्री बघेल की रेडियोवार्ता लोकवाणी की 26वीं कड़ी का प्रसारण आज छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केन्द्रों, एफएम रेडियो और क्षेत्रीय समाचार चैनलों से प्रातः 10.30 से 11 बजे तक किया गया।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में उद्योग, व्यापार और कारोबार के लिए अनुकूल वातावरण है। उन्होंने कहा कि संभावनाओं से भरपूर छत्तीसगढ़ में देश और दुनिया के निवेशक आकर देखें कि यहां उद्योग मित्र, व्यापार मित्र, कारोबार मित्र, उपभोक्ता मित्र, पर्यटक मित्र, रोजगार मित्र नीतियों से कैसे नवा छत्तीसगढ़ गढ़ा जा रहा है। राज्य में हमने शुरू से ही ऐसे कार्यों को महत्व दिया है, जिससे प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आए और रोजगार के अवसर बढ़ें।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमारे पुरखों ने यह सपना देखा था कि जब हमारा अपना छत्तीसगढ़ राज्य बनेगा, तब यहां कोई बेरोजगारी नहीं होगी। इसी ध्येय को ले करके हमारी सरकार द्वारा प्रदेश में सभी को आजीविका और रोजगार उपलब्ध कराने के लिए पहल की जा रही है। वन क्षेत्र, ग्रामीण क्षेत्र, सरकारी क्षेत्र, अर्द्धसरकारी क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र, जहां भी रोजगार के अवसर दिख रहे हैं, वहां हमारी सरकार योजना बना कर कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हमारे फैसलों से गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। उसका लाभ उद्योग और व्यापार जगत को मिला। निश्चित तौर पर सबके सहयोग से हम छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आधार बनाने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने औद्योगिक नीति 2019-2024 की घोषणा की थी, जिसमें फूड, एथेनॉल, इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस, दवा, सोलर जैसे नए उद्योगों को प्राथमिकता दी गई थी। हम चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ में सेवा क्षेत्र को बहुत प्रोत्साहन मिले।

इसके लिए पर्यटन के अलावा अन्य कार्यों को भी चिन्हांकित किया गया है। एम.एस.एम.ई. सेवा श्रेणी उद्यमों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, सेवा केन्द्र, बी.पी.ओ., 3-डी प्रिंटिंग, बीज ग्रेडिंग इत्यादि 16 सेवाओं को सामान्य श्रेणी के उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के दौरान हमने देखा कि बहुत से मेडिकल उपकरण तथा सामग्री स्थानीय स्तर पर ही बनाए जा सकते हैं, इसलिए इन्हें भी उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया है।

औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन नियमों का सरलीकरण किया गया था, जिसके अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन भू-प्रब्याजी में 30 प्रतिशत की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों में भू-भाटक में 33 प्रतिशत की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों एवं औद्योगिक क्षेत्रों से बाहर 10 एकड़ तक आबंटित भूमि को लीज़ होल्ड से फ्री होल्ड किए जाने हेतु नियम तैयार कर अधिसूचना जारी की गई।

ऐसे प्रयासों के कारण छत्तीसगढ़ में तीन वर्षों में 1 हजार 715 नए उद्योग स्थापित हुए, जिसमें 19 हजार 500 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ तथा 33 हजार लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा 149 एमओयू भी किए गए हैं, जिसमें 74 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा और 90 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

हमने बायो एथेनॉल प्लांट लगाने के लिए 18 निवेशकों के साथ 3 हजार 300 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के लिए एमओयू किया है, जिसमें 2 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। हमने तो धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति भी केन्द्र सरकार से मांगी है। यदि यह अनुमति मिल गई तो धान के बम्पर उत्पादन को सही दिशा में उपयोग करते हुए हम बड़े पैमाने पर एथेनॉल बना सकते हैं और इससे बहुत बड़े पैमाने पर रोजगार का अवसर भी बना सकते हैं। इससे हम धान उत्पादक किसानों को बेहतर दाम दिलाने और उनकी माली हालत में लगातार सुधार के रास्ते भी बना सकते हैं।

हमने अपना वादा निभाते हुए विकासखण्डों में फूडपार्क की स्थापना के लिए 110 विकासखण्डों में भूमि का चिन्हांकन कर लिया है। औद्योगिक नीति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, कृषि उत्पादक समूहों, तृतीय लिंग के लोगों के लिए विशेष पैकेज हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए ऐसा कोई प्रावधान औद्योगिक नीति में नहीं था।

इस दिशा में ध्यान देते हुए ओबीसी प्रवर्ग हेतु 10 प्रतिशत भू-खण्ड आरक्षित किए जाएंगे, जो कि भू-प्रीमियम दर के 10 प्रतिशत दर तथा 1 प्रतिशत भू-भाटक पर उपलब्ध कराए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं समाज के सभी वर्गों से यह अनुरोध करता हूं कि हमने प्रदेश में उद्यमिता विकास के माध्यम से रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं। सभी वर्ग के लोग इन अवसरों का लाभ उठाएं, बड़े पैमाने पर स्वयं भी स्वावलंबी बनें तथा कई लोगों को रोजगार देने का माध्यम भी बनें।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हमने उद्योगों की सुगमता पर भी जोर दिया है। निश्चित तौर पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मापदण्ड विश्व बैंक द्वारा तय किए जाते हैं। इससे पता चलता है कि किसी देश अथवा किसी राज्य में कामकाज की सुगमता की क्या स्थिति है। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मापदण्डों में हमारा छत्तीसगढ़ देश के प्रथम 6 राज्यों में शामिल है।

उद्योग विभाग द्वारा एकल खिड़की प्रणाली से 56 सेवाएं ऑनलाइन दी जा रही हैं। ई-डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत 82 सेवाएं ऑनलाइन की गई हैं, जिसमें दुकान पंजीयन से लेकर कारोबार के लायसेंस तक शामिल हैं। हमने गुमाश्ता एक्ट के अंतर्गत हर साल नवीनीकरण की अनिवार्यता को समाप्त किया ताकि छोटे व्यापारियों को राहत मिले। सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए ई-मानक पोर्टल संचालित किया जा रहा है। इस तरह से राज्य में उद्योग, व्यापार और कारोबार का फ्रैंडली वातावरण बना है।

इस तरह के सुधार किए जाने से लोगों का काफी समय बच रहा है। पहले जो समय दफ्तरों के चक्कर काटने में बिताना पड़ता था, उसका उपयोग अब लोग अपने काम-धंधे में कर रहे हैं। हमने छोटे भू-खण्डों की खरीदी और बिक्री पर पूर्व में, शासन द्वारा लगाकर रखी गई रोक को हटाने का निर्णय लिया था और कहा था कि इससे भी कारोबार और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मैं बताना चाहता हूं कि हमारे इस एक निर्णय से 2 लाख 87 हजार भू-खण्डों के सौदे हुए।

एक भू-खण्ड बिकने से क्रेता-विक्रेता के अलावा उस भू-खण्ड को विकसित करने वाले कई लोगों को लाभ मिलता है। सीमेंट, लोहा, भवन सामग्री के विक्रेता, बिजली, नल, मिस्त्री, बढ़ई, राजमिस्त्री और कई तरह के काम करने वाले लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।

इससे लाखों लोगों की रोजी-रोटी चलने लगी। यह पैसा बाजार में आया। इसके अलावा हमने महिलाओं के पक्ष में पंजीयन कराने पर स्टाम्प शुल्क में छूट दी है, जिससे 50 हजार 280 पंजीयन पर 37 करोड़ रुपए से अधिक की छूट दी गई है। इस तरह हमारी सरकार की जनहितकारी योजनाओं से बाजार में पैसा भी आया तथा लोगों को रोजगार भी मिला।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि पर्यटन से भी राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार के नये अवसर बनेंगे। हम जिस वातावरण में पले-बढ़े हैं, उसमें हमारे पुरखों और माता-पिता से हमें धार्मिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता के संस्कार मिले हैं। आस्था के कारण हमारे मन में किसी स्थान पर दर्शन हेतु जाने की इच्छा पैदा होती है। आस्था से आत्मबल मजबूत होता है और ऐसे पर्यटन पर होने वाला खर्च लोगों को संतोष देता है इसलिए हमने आस्था स्थलों के विकास की रणनीति अपनाई है।

इससे नए-नए स्थानों पर अधोसंरचना का विकास होता है। इसमें जो सामग्री लगती है, उससे स्थानीय स्तर पर उद्योग व्यापार पनपता है। स्थानीय सामग्री का वेल्यू एडीशन होता है। स्थानीय उत्पादों को अच्छा दाम मिलता है। राम वन गमन पथ के अंतर्गत कोरिया से लेकर सुकमा जिले तक 75 स्थानों का चिन्हांकन किया गया है। प्रथम चरण में 9 स्थानों का विकास किया जा रहा है।

चन्दखुरी-जिला रायपुर में माता कौशल्या मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया है, जिसके कारण यहां बड़े पैमाने पर पर्यटक पहुंचने लगे हैं। आदिवासी अंचलों में देवगुड़ी तथा घोटुल स्थलों का विकास किया जा रहा है। सतरेंगा, सरोधा दादर, बालाछापर सरना, गंगरेल आदि स्थानों पर नए तरह के पर्यटन की सुविधाएं विकसित की गई हैं, जिससे इन स्थानों में बड़ी संख्या में लोग पहुंचने लगे हैं।

इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पर भी बढ़े हैं। छत्तीसगढ़ी खान-पान को प्रोत्साहित करने के लिए गढ़ कलेवा की स्थापना 16 जिलों में कर दी गई है। हमने छत्तीसगढ़ की अपनी फिल्म विकास नीति भी लागू कर दी है।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि कोरोना काल में हमने सिर्फ छत्तीसगढ़ के ही नहीं बल्कि यहां से गुजरकर दूसरे राज्यों को जाने वाले मजदूरों की भी मदद की है। हमने अपने राज्य के मजदूरों के खाने-पीने, ठहरने, गांवों में क्वारंटाइन होने, जांच और उपचार की व्यवस्था के अलावा उन्हें अपने ही राज्य में रोजगार दिलाने के उपाय किए थे। हमारे बेहतर प्रबंधन को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली थी।

उसी समय हमने घोषणा की थी कि प्रवासी श्रमिकों के लिए नीति बनाएंगे। इस तरह हमने छत्तीसगढ़ प्रवासी श्रमिक नीति 2020 को तैयार कर अधिसूचित किया है। इस नीति के तहत वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों का ऑनलाइन पंजीयन किया गया। पलायन पंजी के ऑनलाइन संधारण की व्यवस्था की गई है। हम संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिकों के कल्याण की योजनाएं संचालित कर रहे हैं।

श्रमिकों के परंपरागत कौशल को नवीन ज्ञान से संवारने हेतु उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है। हम छत्तीसगढ़ में ऐसे अवसर पैदा कर रहे हैं कि हमारे प्रदेश के श्रमिकों को अन्य प्रदेशों में जाना ही नहीं पड़े। उनका कौशल और मेहनत राज्य के विकास के काम आए। भारत सरकार द्वारा असंगठित श्रमिकों के पंजीयन के लिए जो ई-श्रम पोर्टल बनाया गया है। उसमें भी हमने 64 लाख श्रमिकों का पंजीयन करते हुए देश में तीसरा स्थान हासिल किया है।

हमने कारखाना अधिनियम के तहत कामगारों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी है। इसके अलावा दो नई योजनाओं की घोषणा 26 जनवरी के अवसर पर की है। प्रत्येक जिला मुख्यालय तथा विकासखण्ड स्तर पर ‘मुख्यमंत्री श्रमिक संसाधन केन्द्र’ की स्थापना की जाएगी। श्रमिक परिवारों की बेटियों की शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार तथा विवाह में सहायता के लिए ‘मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण सहायता योजना’ शुरू की जाएगी।

इस योजना के तहत ‘छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल’ में पंजीकृत हितग्राहियों की प्रथम दो पुत्रियों के बैंक खाते में 20-20 हजार रुपए की राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाएगा। विगत तीन वर्षों में एक ओर जहां नक्सलवाद और उसकी हिंसक गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगा है वहीं दूसरी ओर उद्योग, व्यापार और कारोबार में लगे लोगों को यह विश्वास हुआ है कि सरकार उनके साथ खड़ी है। प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए उत्साहजनक वातावरण निर्मित हुआ है, जिससे हर क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमने अधोसंरचना विकास के लिए बहुस्तरीय रणनीति अपनाई है। प्रदेश में 21 हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत से सड़कों के निर्माण की कार्ययोजना बनाई गई है, जिसमें विभिन्न स्तरों पर काम चल रहा है। प्रदेश में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए केलो परियोजना, खारंग परियोजना, मनियारी परियोजना, अरपा भैंसाझार परियोजना को इस वर्ष पूर्ण करने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है।

इसके अलावा हमने अनेक व्यावहारिक उपाय करते हुए मरम्मत व अन्य तरीकों से वास्तविक सिंचाई क्षमता को दोगुना कर दिया है। हमने विगत तीन वर्षों में डॉक्टरों तथा मेडिकल स्टाफ की संख्या लगभग दोगुनी कर दी है। विभिन्न विभागों के निर्माण कार्यों से स्थानीय युवाओं को जोड़ने के लिए हमने ई-श्रेणी पंजीयन की व्यवस्था की है, जिसमें विकासखण्ड स्तर पर 5 हजार युवाओं का पंजीयन किया गया है और उन्हें 200 करोड़ रूपए से अधिक लागत के काम सीमित प्रतियोगिता के आधार पर दिए गए हैं। इसके साथ ही ग्रामीण अधोसंरचना के विकास के लिए सुराजी गांव योजना संचालित की जा रही है। नरवा, गरुवा, घुरुवा और बारी के विकास से बहुत बड़े पैमाने पर ग्रामीण कारोबार के अवसर बढ़े हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के लिए चार तरह के संसाधनों का सबसे ज्यादा योगदान हो सकता है-पहला खनिज, दूसरा कृषि, तीसरा वानिकी और चौथा मानव संसाधन। खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए पूर्व में अनेक प्रयास हुए हैं लेकिन उनकी अपनी सीमाएं भी हैं। कृषि, वन और मानव संसाधन की भागीदारी को बहुत बड़े पैमाने में बढ़ाने की संभावनाएं हैं, जिस पर पहले गंभीरता से काम नहीं किया गया।

दशकों से कृषि के नाम पर धान, वन के नाम पर तेन्दूपत्ता और मानव संसाधन के नाम पर सीमित सरकारी नौकरियों से अधिक की सोच नहीं रखी गई। हमने पूरी रणनीति ही बदल दी है। खनिज आधारित उद्योगों के स्थान पर ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता दी गई जिससे पर्यावरण प्रभावित न हो। कृषि और वानिकी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।

एक ओर धान की खेती करने वाले किसानों का मनोबल बढ़ाया वहीं दूसरी ओर वैकल्पिक फसलों के प्रति भरपूर जागरुकता पैदा की गई। हम बरसों से यह सुनते आए थे कि धान और गरीबी का चोली-दामन का साथ होता है। हमने इस कहावत को झुठला दिया है। अब हमारे धान उत्पादक किसान भी समृद्ध हैं। यही वजह है कि प्रदेश में धान की उत्पादकता और उत्पादन में रिकार्ड तोड़ वृद्धि हुई है।

वहीं हर साल समर्थन मूल्य पर खरीदी का भी नया कीर्तिमान बना है। वर्ष 2017-18 में सिर्फ 15 लाख 77 हजार पंजीकृत किसान थे, जो अब बढ़कर 22 लाख 66 हजार हो गए। इसमें से 21 लाख 77 हजार किसानों ने धान बेचा है। खेती का रकबा 22 लाख से बढ़कर 30 लाख 11 हजार हेक्टेयर हो गया। धान की खरीदी 56 लाख 88 हजार से बढ़कर लगभग 98 लाख मीट्रिक टन हो गई। इसके अलावा मक्का, गन्ना, तिलहन, दलहन, लघु धान्य फसल, उद्यानिकी फसलों का विकास भी तेजी से हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब शिक्षित और युवा किसान भी तेजी से बढ़ रहे हैं, जो नई-नई तकनीक का उपयोग कर रहे हैं, जिसके नतीजे आने वाले समय में दिखाई देंगे। इस तरह छत्तीसगढ़ के खेत अपने आप में उद्यम बन गए हैं। चाय, कॉफी, काजू, फल, फूल की खेती लगातार बढ़ने के साथ ही प्राकृतिक रेशों से धागे बनाने का काम भी हो रहा है। इतना ही नहीं, फूड प्रोसेसिंग को भी नई ऊंचाई पर ले जाने का कौशल हमारे ग्रामीण भाई-बहनों ने दिखाया है।

हमारे नेता और सांसद राहुल गांधी जी ने 3 फरवरी को छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान ऐसे नए किसानों और उद्यमियों से भेंट की तथा उनके उत्पादों की दिल खोलकर तारीफ भी की। इसी तरह छत्तीसगढ़िया भाई-बहनों के हाथों के हुनर ने भी खूब तारीफ बटोरी।

राहुल गांधी जी ने खुले मंच से कहा कि छत्तीसगढ़ के उत्पाद अब देश और दुनिया में भेजे जाने चाहिए। वन संसाधनों की बात करें तो पहले मात्र 7 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाती थी। अब हमने 61 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने की व्यवस्था कर दी है। ये सारे उत्पाद इशारा करते हैं कि छत्तीसगढ़ के भावी औद्योगिक विकास के लिए ये सभी सबसे अच्छा कच्चा माल साबित होंगे।

जहां तक मानव संसाधन की उद्यमिता का सवाल है तो हमने अब छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन का गठन कर दिया है, जिससे 5 वर्ष में 15 लाख रोजगार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य दिया गया है। हमने सरकारी विभागों तथा अर्द्धसरकारी संस्थाओं में लाखों लोगों को नौकरी देकर यह साबित किया है कि यदि सरकार की इच्छा शक्ति मजबूत हो तो नई पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित रहेगा।

यही कारण है कि जब पूरा देश कोरोना और लॉकडाउन के कारण मंदी से परेशान था, तब हमारा छत्तीसगढ़ उद्योग, व्यापार और कारोबार में नई ऊंचाइयां छू रहा था। न्याय योजनाओं के माध्यम से हमने किसानों, पशुपालकों और खेतिहर मजदूरों को आर्थिक संबल दिया।

ऐसी कल्याणकारी पहल से 91 हजार करोड़ रुपए की राशि जरूरतमंद लोगों की जेब में डाली गई जिसके कारण खेत-खलिहानों से लेकर उद्योगों तथा बाजारों तक में रौनक बनी रही। सिर्फ उद्योग लगाना ही उद्यमिता नहीं है बल्कि कला, संस्कृति, खेलकूद, शोध, अनुसंधान, शिक्षा- दीक्षा तथा कुछ नया करने का जुनून भी उद्यमिता है।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि मैं अपने युवा साथियों से अनुरोध करता हूं कि वे अपनी रुचि, अपने समाज, अपने प्रदेश के हित में अपनी आजीविका का जो भी रास्ता चुनें, उस पर डटे रहें। आप में वह क्षमता है कि किसी भी काम को चमका सकते हैं। हमने प्रदेश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का ऐसा ढांचा खड़ा कर दिया है कि जिस तरह हमारे गौठान स्वावलंबी हो रहे हैं, उसी तरह गांव भी स्वावलंबी हो जाएंगे।

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मुख्यमंत्री ने राज्य में धान खरीदी की अवधि एक सप्ताह बढ़ाने का किया एलान http://revoltnewsindia.com/the-chief-minister-announced-to-extend-the-period-of-paddy-purchase-in-the-state-by-one-week/5666/ http://revoltnewsindia.com/the-chief-minister-announced-to-extend-the-period-of-paddy-purchase-in-the-state-by-one-week/5666/#respond Sat, 22 Jan 2022 11:54:48 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=5666 कहा किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं, सीधे सोसायटियों से धान के उठाव सुनिश्चित करने के निर्देशराज्य में अब तक 78.92 लाख मीट्रिक टन धान की हो चुकी है…

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कहा किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं, सीधे सोसायटियों से धान के उठाव सुनिश्चित करने के निर्देश
राज्य में अब तक 78.92 लाख मीट्रिक टन धान की हो चुकी है खरीदी, मुख्यमंत्री ने धान के उठाव और कस्टम मिलिंग को सराहा

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए आज एक बड़ा फैसला लिया। राज्य में समर्थन मूल्य में धान खरीदी की अपने निवास कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने धान खरीदी की निर्धारित अवधि में एक सप्ताह की वृद्धि किए जाने का एलान किया। राज्य में अब 7 फरवरी तक किसानों से धान खरीदी की जाएगी।

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए। बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ.कमलप्रीत सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, खाद्य सचिव टोपेश्वर वर्मा, सहकारिता सचिव हिमशिखर गुप्ता, नान के एमडी निरंजन दास सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धान उपार्जन की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को सीधे सोसायटियों से मिलर्स द्वारा धान का उठाव किए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इससे उपार्जित धान के परिवहन व्यय बचने के साथ ही कस्टम मिलिंग तेजी से होगी। मुख्यमंत्री ने अप्रैल माह तक शत-प्रतिशत धान का उठाव सुनिश्चित करने के साथ ही कस्टम मिलिंग के काम मेें तेजी लाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने धान के उपार्जन के साथ-साथ किसानों की राशि के भुगतान का भी विशेष रूप से ध्यान देने को कहा। मुख्यमंत्री ने एफसीआई में आज की स्थिति में 6 लाख मीट्रिक टन चावल जमा कराए जाने को एक उपलब्धि बताया और इसकी सराहना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि एफसीआई में लगातार लक्ष्य के अनुरूप चावल जमा होते रहे, यह हर हाल में सुनिश्चित किया जाना चाहिए। बैठक में खाद्य सचिव टोपेश्वर वर्मा ने बताया कि राज्य में 21 जनवरी की स्थिति में 78.92 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया जा चुका है, जो कि इस साल के अवमानित लक्ष्य का 75 प्रतिशत है।

उन्होंने बताया कि इस साल धान बेचने के लिए 24 लाख 5 हजार किसानों  ने पंजीयन कराया है। धान का पंजीकृत रकबा 30 लाख 21 हजार हेक्टेयर है। इस साल पंजीकृत किसानों की संख्या में 2 लाख 52 हजार तथा रकबे में 2 लाख 28 हजार हेक्टेयर की वृद्धि हुई है, जो कि गत वर्ष की तुलना में क्रमशः 11.76 प्रतिशत एवं 8.20 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने बताया कि अब तक लगभग 19 लाख किसान धान बेच चुके हैं।

समर्थन मूल्य पर क्रय किए जा चुके धान का मूल्य 15 हजार 335 करोड़ रूपए है। किसानों को शत-प्रतिशत राशि का भुगतान किया जा चुका है। किसानों द्वारा इस साल 71 हजार गठान बारदाना धान खरीदी के लिए उपलब्ध कराया गया, जिसकी कुल राशि 88.20 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि उपार्जित धान में से 41 लाख मीट्रिक टन का उठाव किया जा चुका है।

धान खरीदी के लिए राज्य में पर्याप्त बारदाना उपलब्ध है। राज्य में अब शेष अवधि में धान की खरीदी के लिए 1.30 लाख गठान बारदाने की आवश्यकता होगी, जबकि इसके लिए 1.52 गठान बारदाना उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि इस साल उपार्जित धान के एवज में एफसीआई में लगभग 6 लाख मीट्रिक टन तथा नान में 4.63 लाख मीट्रिक टन इस प्रकार कुल 10.57 लाख मीट्रिक टन जमा कराया जा चुका है।

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मिलेट मिशन: कोदो, कुटकी और रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी जोरों पर http://revoltnewsindia.com/millet-mission-kodo-kutki-and-ragi-purchased-at-support-price-in-full-swing/5650/ http://revoltnewsindia.com/millet-mission-kodo-kutki-and-ragi-purchased-at-support-price-in-full-swing/5650/#respond Sat, 22 Jan 2022 08:47:35 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=5650 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों में लगातार बढ़ रही आवक अब तक सवा करोड़ रुपए के कोदो, कुटकी और रागी की खरीदी राजीव गांधी किसान न्याय योजना में मिलेट उत्पादक किसानों…

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  • प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों में लगातार बढ़ रही आवक
  • अब तक सवा करोड़ रुपए के कोदो, कुटकी और रागी की खरीदी
  • राजीव गांधी किसान न्याय योजना में मिलेट उत्पादक किसानों को 10 हजार रुपए तक प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी

रायपुर, 22 जनवरी 2022 छत्तीसगढ़ को देश का मिलेट हब बनाने के लिए शुरु किए गए मिलेट मिशन के तहत कोदो, कुटकी एवं रागी की फसलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ ही राजीव गांधी किसान न्याय योजना में किसानों को इन फसलों को इनपुट सब्सिडी देने का फैसला भी लिया गया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर कोदो, कुटकी और रागी की फसल लेने वाले किसानों को इनकी बिक्री में किसी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए राज्य की सभी प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों में समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है। प्रदेश में अब तक सवा करोड़ रूपए से अधिक मूल्य की 4110 क्विंटल कोदो, कुटकी और रागी की खरीदी की गई है।

कुपोषण दूर करने दिया जा रहा बढ़ावा
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि मिलेट उत्पादन बढ़ाने के लिए के पीछे राज्य सरकार की मंशा है कि इन फसलों का अधिक से अधिक उपयोग बच्चों के कुपोषण दूर करने में किया जाए। समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले मिलेट का उपयोग मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, आंगनबाड़ी के पोषण आहार कार्यक्रम में करने के निर्देश भी दिए गए हैं। सभी प्राथमिक वन समितियों में इन फसलों की खरीदी की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा किसानों को इनकी खेती के लिए दिए जा रहे प्रोत्साहन से आने वाले समय में इन फसलों का उत्पादन और बढ़ेगा।

किसानों को मिलेगी इन्पुट सब्सिडी
राज्य सरकार ने उपज की सही कीमत दिलाने के लिए समर्थन मूल्य घोषित किया है, साथ ही मिलेट फसलों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना में कोदो, कुटकी और रागी की फसल लेने वाले किसानों को 9 हजार रुपए प्रति एकड़ और धान के बदले कोदो-कुटकी और रागी की फसल लेने वाले किसानों को 10 हजार रुपए प्रति एकड़ इनपुट सबसिडी दी जाएगी। समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले मिलेट का उपयोग मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, आंगनबाड़ी के पोषण आहार कार्यक्रम में किया जाएगा।

राज्य लघु वनोपज सहकारी विपणन संघ से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोदो और कुटकी की खरीदी 30 रूपए प्रति किलो और रागी की खरीदी 33.77 रूपए प्रति किलो की दर से की जा रही है। अब तक संग्राहकों से 2743 क्विंटल कोदो, 252 क्विंटल कुटकी काला, 656 क्विंटल कुटकी भूरा और 458 क्विंटल रागी की खरीदी की जा चुकी है। संग्राहकों को अब तक 17 लाख 17 हजार 594 रूपए का भुगतान किया जा चुका है। शेष राशि का भुगतान संग्राहकों को शीघ्र किया जाएगा। समर्थन मूल्य पर कोदो, कुटकी और रागी फसलों की खरीदी 31 जनवरी 2022 तक की जाएगी।

अधिकारियों ने बताया कि जगदलपुर, दंतेवाड़ा, दक्षिण कोण्डागांव, नारायणपुर, पश्चिम भानुप्रतापपुर, बलरामपुर, मरवाही, सुकमा और सूरजपुर वनमण्डल में 252.02 क्विंटल कुटकी (काली), वनमण्डल केशकाल, जशपुर, दंतेवाड़ा, दक्षिण कोण्डागांव, नारायणपुर,  बलरामपुर, मनेन्द्रगढ़, राजनांदगांव, सरगुजा और सूरजपुर वनमण्डल में 665.69 क्विंटल कुटकी (भूरा), कटघोरा, कवर्धा, कांकेर, केशकाल, कोरिया, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, दक्षिण कोण्डागांव, पश्चिम भानुप्रतापुर, बलरामपुर, बिलासपुर, मनेन्द्रगढ़, मरवाही, राजनांदगांव, रायगढ़, सुकमा और सूरजपुर वनमण्डल में 2743.06 क्विंटल कोदो, कांकेर, केशकाल, जगदलपुर, जशपुर, दंतेवाड़ा, दक्षिण कोण्डागांव, धमतरी, बलरामपुर, सुकमा और सूरजपुर वनमण्डल में 458.58 क्विंटल रागी की खरीदी की गई है।

वेल्यू एडिशन से मिलेगा रोजगार
पोषण और स्वास्थ्य के लिए सेहतमंद विकल्प होने के कारण वैश्विक बाजार में मिलेट्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है, इसे देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा मिलेट्स उत्पादन वाले गांवों में लघु प्रसंस्करण इकाईयां एवं पैकेजिंग इकाईयां स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि वेल्युएडिशन के माध्यम से उत्पादन करने वाले किसानों को और भी अधिक फायदा मिल सके।

गढ़कलेवा के मेनू में छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के साथ कोदो, कुटकी और रागी से तैयार व्यंजनों को भी शामिल किया गया है। मिलेट संग्रहण, प्रसंस्करण और वेल्यूएडिशन से किसानों, महिला समूहों और युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके लिए विशेषज्ञों द्वारा इन्हें तकनीकी और प्रायोगिक रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा।

हैदराबाद के मिलेट इंस्टीट्यूट से एम.ओ.यू.
प्रमुख सचिव वन एवं जलवायु परिवर्तन मनोज पिंगुआ ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कोदो, कुटकी और रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ इनके प्रसंस्करण और मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जा रही है। छत्तीसगढ़ के 20 जिलों के 85 विकास खण्डों में मिलेट्स का उत्पादन होता है। मिलेट मिशन में पांच वर्षों में राज्य सरकार द्वारा 170.30 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने, उन्नत तकनीक, किसानों को प्रशिक्षण, उच्च क्वालिटी बीज और सीड बैंक की मदद के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मिलेट रिसर्च हैदराबाद और राज्य के 14 मिलेट उत्पादक जिलों के बीच एमओयू साइन हुआ है, इन जिलों में कांकेर, कोंडागांव, बस्तर, राजनांदगांव, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, गौरेला-पेंड्रा, मरवाही, बलरामपुर, कोरिया, सूरजपुर और जशपुर जिले शामिल हैं। कांकेर और दुगुकोंदल में दो प्रोसेसिंग इकाईयोें की स्थापना हो चुकी है। बस्तर, सरगुजा, कवर्धा और राजनांदगांव में लघु धान्य फसलों के सीड बैंक स्थापित किए जाएंगे।

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दंतेवाड़ा एडवेंचर स्पोर्ट्स से बस्तर की खूबसूरती में लगेगा चार चाँद http://revoltnewsindia.com/dantewada-adventure-sports-will-add-four-moons-to-the-beauty-of-bastar/5597/ http://revoltnewsindia.com/dantewada-adventure-sports-will-add-four-moons-to-the-beauty-of-bastar/5597/#respond Thu, 20 Jan 2022 08:05:35 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=5597 साहसिक पर्यटन के रूप में विकसित हो रहा दंतेवाड़ा का सातधार बस्तर संभाग के प्रथम एडवेंचर पार्क की स्थापना रायपुर, 20 जनवरी 2022 अपने चारों ओर पहाड़ों से घिरा हरे-भरे…

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  • साहसिक पर्यटन के रूप में विकसित हो रहा दंतेवाड़ा का सातधार
  • बस्तर संभाग के प्रथम एडवेंचर पार्क की स्थापना

रायपुर, 20 जनवरी 2022 अपने चारों ओर पहाड़ों से घिरा हरे-भरे वादियो के बीच प्रशासनिक तथा धार्मिक महत्व के स्थल दंतेवाड़ा में डंकिनी नदी के तट पर विकसित हो रहेे एडवेंचर स्पोर्ट्स शीघ्र आकर्षण के केन्द्र बनेंगे। यहां साहसिक खेलों और मनोरंजन को बढ़ावा देने के लिए बस्तर संभाग के प्रथम एडवेंचर पार्क की स्थापना जिला खनिज संस्थान न्यास निधि (डी.एम.एफ.) मद के तहत जिला प्रशासन एवं वन विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।

एडवेंचर पार्क में संचालित होने वाली साहसिक खेल गतिविधियों और प्रशिक्षण से पर्यटकों तथा नागरिकों को अपने स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने का महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में शासन-प्रशासन की पहल से विकसित किए जा रहे यह पार्क दंतेवाड़ा जिले के पर्यटन विकास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी। इसके तहत सायकल जिप लाइन के निर्माण सहित सुविधाओं को विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा दंतेवाड़ा और इसके आसपास ढोलकल तथा सातधार आदि महत्वपूर्ण स्थानों तक पर्यटन सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है।  

एडवेंचर पार्क एक आधुनिक व्यायाम प्रक्रिया साधन है, जिसमें जिप लाइन, साइकिल जिप लाइन, किड एडवेंचर स्पोर्ट्स जैसे रस्सी द्वारा निर्मित पुल, हवा में ऊपर छलांग लगाने वाला कमरबंद झूला इत्यादि साहसिक खेल प्रदर्शन के माध्यम से नई विधियों और तकनीकों से परिचय कराना है। इसे ध्यान में रखते हुए खेल प्रशिक्षकों एवं खेल वैज्ञानिकों द्वारा पार्क के माध्यम से नवीनतम और प्रभावी जानकारी कुशलता से प्रदान की जाएगी। साथ ही यह पर्यटन के क्षेत्र में पर्यटकों की रुचि का केन्द्र और दंतेवाड़ा जिले की प्रगति में मील का पत्थर साबित होगा। 

इस कड़ी में जिले के अंतर्गत पर्यटन के क्षेत्र में ढोलकल पहाड़ी में प्राचीन भगवान गणेश जी की प्रतिमा विश्व-विख्यात है। यहां देश और विदेश से पर्यटक दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ढोलकल में बस्तर तथा छत्तीसगढ़ की पारंपरिक शैली अनुसार पर्यटकों के रुकने की उत्तम व्यवस्था तथा पारंपरिक खान-पान से संबंधित गढ़कलेवा को स्थानीय रोजगार से जोड़ने की महत्वपूर्ण योजना भी बनाई जा रही है। इस तरह परंपरागत बस्तर तथा छत्तीसगढ़िया खान-पान को समाहित करते हुए अत्याधुनिक कॉटेज हट अपने आप में आधुनिकता को पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण और लोकप्रियता के साथ प्रदर्शित करेंगे।

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