Kondagaon Archives - REVOLT NEWS INDIA http://revoltnewsindia.com/tag/kondagaon/ News for India Mon, 21 Mar 2022 12:18:09 +0000 en hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 http://revoltnewsindia.com/wp-content/uploads/2020/05/cropped-LLL-2-32x32.png Kondagaon Archives - REVOLT NEWS INDIA http://revoltnewsindia.com/tag/kondagaon/ 32 32 174330959 फ़ूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य पर केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाओं को किया सम्मानित http://revoltnewsindia.com/the-central-government-honored-the-tribal-women-of-chhattisgarh-for-their-excellent-work-in-the-field-of-food-processing/7139/ http://revoltnewsindia.com/the-central-government-honored-the-tribal-women-of-chhattisgarh-for-their-excellent-work-in-the-field-of-food-processing/7139/#respond Mon, 21 Mar 2022 12:18:01 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=7139 ‘कोंडानार’ ब्रांड के नाम से आदिवासी महिलाएं करती हैं कृषि खाद्य उत्पादों का निर्माण और विपणन रायपुर, 21 मार्च 2022 छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले की आदिवासी महिलाओं को भारत सरकार…

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‘कोंडानार’ ब्रांड के नाम से आदिवासी महिलाएं करती हैं कृषि खाद्य उत्पादों का निर्माण और विपणन

रायपुर, 21 मार्च 2022 छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले की आदिवासी महिलाओं को भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा फ़ूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर नई दिल्ली में सम्मानित किया गया है। कृषि खाद्य उत्पादों के निर्माण और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई के राज्यमंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने यह अवार्ड प्रदान किया।

एमएसएमई मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी- इनवेस्टमेंट एंड बिजनेस समिट कम अवार्ड कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां यह सम्मान महिला समूह की ओर से कलसल्टेंट सिद्धार्थ पांडेय ने ग्रहण किया। आदिवासी बहुल कोंडगांव जिले की महिलाओं ने उड़ान महिला किसान प्रोड्यूसर कंपनी बनाई है। ये कंपनी कोंडानार ब्रांड के नाम से कृषि खाद्य उत्पादों का निर्माण करती है और बेचती है। इस कंपनी में 10 बोर्ड ऑफ डायरेक्टर हैं।

इसमें 30 से ज्यादा महिला स्वयं सहायता समूह जुड़े हुए हैं, जो अचार, चटनी, मिल्क शेक, कुकीज़, तीखुर, नारियल तेल सहित 30 से ज्यादा खाद्य सामग्री बनाने का काम करते हैं। कोंडगांव के कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने बताया कि इस कंपनी से 200 से ज्यादा आदिवासी महिलाओं को नियमित रोजगार सुनिश्चित हो गया है।

यहाँ काम कर रही महिलाओं को हर महीने कम से कम 7500 रुपये वेतन मिलता है। उन्होंने बताया कि कोंडानार देश के साथ ही दुनिया में भी ब्रांड बन रहा है। दुबई एक्स्पो में भी कोंडगांव उड़ान के प्रोडक्टस को वर्चुयल प्लेटफॉर्म पर रखा गया था। अनेक देशों के लोगों ने प्रोडक्टस की जानकारी चाही।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महिलाओं को अवार्ड मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि यहाँ की आदिवासी महिलाओं ने सोशल इंटरप्रेन्योर बन कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनके समर्पण और लगन से पारंपरिक स्वाद को नई पहचान मिल गयी है।

राहुल गांधी को भी पसंद आया था स्वाद
पिछले महीने रायपुर दौरे पर गए सांसद राहुल गांधी ने भी महिलाओं द्वारा बनाए गए कोंडानार खाद्य सामग्री का स्वाद लिया था, जिसमें उन्होंने तीखुर मिल्कशेक की काफी प्रशंसा की थी।

‘कोंडानार’ ब्रांड के नाम से कृषि खाद्य उत्पादों का निर्माण और विपणन

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कोंडागांव में डेढ़ वर्ष में कुपोषित बच्चों की संख्या में आई 41.54 प्रतिशत की कमी http://revoltnewsindia.com/in-kondagaon-the-number-of-malnourished-children-decreased-by-41-54-percent-in-one-and-a-half-years/2874/ http://revoltnewsindia.com/in-kondagaon-the-number-of-malnourished-children-decreased-by-41-54-percent-in-one-and-a-half-years/2874/#respond Sat, 11 Sep 2021 13:14:52 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=2874 नक्सल प्रभावित व आदिवासी बहुल जिले ने देश के सामने प्रस्तुत किया उदाहरण, जिला प्रशासन ने लगाया अंडा उत्पादन यूनिट, स्थानीय स्तर पर मिलने वाले रागी और कोदो से बना…

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नक्सल प्रभावित व आदिवासी बहुल जिले ने देश के सामने प्रस्तुत किया उदाहरण, जिला प्रशासन ने लगाया अंडा उत्पादन यूनिट, स्थानीय स्तर पर मिलने वाले रागी और कोदो से बना पोषण आहार आंगनबाड़ी केंद्रों को कराया सुलभ

रायपुर। छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित एवं आदिवासी बाहुल्य कोंडागांव जिले में कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ी जा रही है। कोरोना काल के दौरान मात्र डेढ़ वर्ष में ही जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या में 41.54 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। कम समय में ही जिले ने विभागों के समन्वित प्रयास, बेहतर रणनीति और मॉनिटरिंग के साथ उपलब्धि हासिल कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

बच्चों को प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ प्राप्त हो सके इसके लिए प्रशासन ने जिले में अंडा उत्पादन यूनिट भी स्थापित किया है। आज रोजाना यहाँ से पांच हजार अंडे बच्चों को मिल रहे हैं। अब इसकी दूसरी यूनिट भी लगाई जाएगी। इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर मिलने वाले रागी और कोदो से पोषण आहार तैयार कराया जा रहा है।

अंडे और अनाज बच्चों तक पहुँचे इसके लिए वाट्सएप ग्रुप बनाया गया है, खिलाये जा रहे बच्चों की तस्वीर ग्रुप में पोस्ट की जाती है। जिसकी मॉनिटरिंग स्वयं कलेक्टर करते हैं।

बस्तर संभाग से 80 किमी दूर कोंडागांव जिला के नक्सल प्रभावित एवं आदिवासी बाहुल्य होने के कारण विकास की मुख्यधारा से कई गांव दूर रहे हैं। ऐसे में इन गांवों में कुपोषण, एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रही है। कोंडागांव जिले में कुपोषण की बढ़ती दर प्रशासन के लिए एक चुनौती थी। वजन त्यौहार के आंकड़ों के अनुसार जिले में फरवरी 2019 में 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 37 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार थे। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती थी कि कुपोषण की दर को नियंत्रित करना था।

जिला कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने बताया कि सुपोषण अभियान के तहत जून 2020 में ‘नंगत पिला’ परियोजना की शुरुआत की गई। हल्बी बोली में जिसका अर्थ होता है एक स्वस्थ बच्चा। परियोजना को पूरा करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग को नोडल के रूप में नियुक्त किया गया। सबसे पहले कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए जुलाई 2020 में जिले में बेसलाइन स्क्रीनिंग शुरू की गई, जिसमें 12726 बच्चों की पहचान की गयी।

‘नंगत पिला’ परियोजना के तहत सबसे महत्वपूर्ण कार्य बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान करना था। इसके लिए बेहतर क्रियान्वयन एवं मॉनिटरिंग पर जोर दिया गया। इसके लिए ‘उड़ान’ नाम से एक कंपनी शुरू की गई। आंगनबाड़ी द्वारा पौष्टिक आहार प्रदान करने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जोड़ा गया। इन महिलाओं द्वारा स्थानीय स्तर पर मिलने वाले पौष्टिक आहार तैयार कर आंगनबाड़ी केंद्रों में भेजा जा रहा है।

बच्चों को अंडा, चिक्की, बिस्किट, बाजरे की खिचड़ी, रागी और कोदो से बने आहार दिए जा रहे हैं। बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाले ऑर्गेनिक व देसी अंडे दिए जा सकें, इसके लिए इसके जिले में अंडा उत्पादन यूनिट की स्थापना की गई है। जिले की सभी आंगनबाड़ी को 220037 अंडे और 35422 किग्रा मोठे अनाज की आपूर्ति हो चुकी है।

सोशल मीडिया माध्यम से निगरानी
अंडे और अनाज बच्चों तक पहुँचे इसके लिए वाट्सएप ग्रुप बनाया गया है, खिलाये जा रहे बच्चों की तस्वीर ग्रुप में पोस्ट की जाती है। जिसकी मॉनिटरिंग स्वयं कलेक्टर करते हैं।इस परियोजना के द्वारा कोविड के दौरान भी जिले में कुपोषित बच्चों का पहचान कर उन्हें पौष्टिक आहार वितरित करने में मदद की। प्रत्येक कुपोषित बच्चे का ऑनलाइन डेटा बेस होना और मासिक रूप से उनकी प्रगति को ऑनलाइन ट्रैक करना बहुत उपयोगी साबित हुआ है।

यही वजह है कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत ‘नंगत पिला’ परियोजना में फरवरी 2019 की तुलना में जुलाई 2021 में जिले में कुपोषण में 15.73 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। 2019 में कुपोषित बच्चों की संख्या 19572 थी, जो कि 2021 में संख्या घट कर 11440 हो गयी। वहीं, 2019 की तुलना में कुपोषित बच्चों में 41.54 प्रतिशत की कमी आयी है। कोंडागांव जिले ने विभागों के समन्वित प्रयास के माध्यम से कुपोषण से लड़ने की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।

एक अलग रणनीति पर किया काम
कुपोषण से जंग में स्थानीय युवाओं की भी भागीदारी सुनिश्चित कराई गई, उन्हें ‘सुपोषण मित्र’ के रूप में नियुक्त किया गया। 1438 सुपोषण मित्र आंगनबाड़ी केंद्रों में निगरानी और क्रियान्वयन में महती भूमिका निभा रहे हैं। क्रॉस चेकिंग के लिए अधिकारियों को ‘नंगत पिला’ के नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है। जहां प्रत्येक नोडल अधिकारी एक ग्राम पंचायत की निगरानी करता है। ऐसे 328 नोडल कार्यालयों ने इस कार्यक्रम की निगरानी के लिए 418 दौरे किये। कलेक्टर मासिक समीक्षा बैठकों के माध्यम से इस डेटा बेस की प्रगति की समीक्षा करते हैं। इसी बैठक में अगले माह की कार्ययोजना भी तय की जाती है।

कोंडागांव ने प्रस्तुत किया उदाहरण
भारत में कुपोषण अब भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। कोविड महामारी ने भी देश में कुपोषण की स्थिति को और चिंताजनक बना दिया है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत 27.2 के स्कोर के साथ 107 देशों की लिस्ट में 94वें नंबर पर है, जिसे बेहद गंभीर माना जाता है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार देश में 9.3 लाख से अधिक ‘गंभीर कुपोषित’ बच्चों की पहचान की गई है। वहीं, देश के आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के एक छोटे से जिले कोंडागाँव ने दिखाया है कि कैसे विभिन्न विभागों के परस्पर समन्वय और एक दूरदर्शी माध्यम से कुपोषण से लड़ने की दिशा में एक व्यवस्थित दृष्टिकोण अच्छा प्रभाव डाल सकता है और एक बेंचमार्क स्थापित कर सकता है।

नक्सल प्रभावित गांवों के आजीविका विकास में भी सहायक
सुपोषण अभियान में आजीविका को भी बढ़ावा मिल रहा है। इस अभियान का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू जिले में कोदो, रागी, बाजरा उत्पादन को पुनर्जीवित करके बच्चों के लिए पोषण सुनिश्चित करना है। ज़िला प्रशासन बच्चों को कोदो और रागी से बने गुणवत्तायुक्त भोजन भी प्रदान कर रहा है। इन पोषक अनाजों की ख़रीदी नक्सल प्रभावित गांवों से ही की जा रही है। गोठान की महिलाएँ इस काम में जुड़ी हैं।

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