- स्कूल और कॉलेजों के माध्यम से ही तंबाकू के दुष्परिणाम के प्रति जागरूक करने की जरूरत
- तम्बाकू नियंत्रण पर राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला सम्पन्न
रायपुर। स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि तंबाकू और इससे बनने वाले विभिन्न उत्पादों के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूकता और इन उत्पादों के उपयोग को रोकने में लोगों की सहभागिता से ही तंबाकू के उपयोग पर नियंत्रण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज स्तर पर ही तंबाकू के उपयोग से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी दी जानी चाहिए। इससे नई पीढ़ी को तंबाकू के व्यसन से बचाया जा सके।
स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव आज स्वास्थ्य विभाग द्वारा तंबाकू नियंत्रण विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला को वर्चुअल रूप से सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण 2019 के चौथे चरण के छत्तीसगढ़ के अनुरूप परिणामों का विमोचन किया। स्वास्थ्य मंत्री ने कार्यशाला में कहा कि एक बार तंबाकू की लत छोटे उम्र के बच्चों और युवाओं को लग जाए तो उसे छोड़ना काफी कठिन होता है। इसलिए हमें इन्हें तंबाकू के दुष्परिणाम से पहले ही अवगत कराना चाहिए।
उन्होंने बताया कि देश में 10 से 22 वर्ष आयु के बीच में तंबाकू उपयोग प्रारंभ करने वालों का प्रतिशत 90 से अधिक है। छत्तीसगढ़ राज्य में 13 से 15 वर्ष आयु के बच्चों के द्वारा तंबाकू उपयोग का प्रतिशत 8 है भले ही यह राष्ट्रीय के औसत से कम है परंतु यह बहुत ही चिंताजनक विषय है। उन्होंने बताया कि भारत में प्रतिदिन 3500 मौते होती हैं साल में लगभग 12.8 लाख तंबाकू के उपयोग से मौत होती है जो टीबी, एचआईवी, मलेरिया से होने वाली संयुक्त मृत्यु से अधिक है।
यहां तक कि वर्तमान में चल रही कोरोना महामारी में होने वाली मृत्यु से भी कहीं ज्यादा है। कार्यशाला में स्वास्थ्य संचालक नीरज बंसोड़ ने कहा कि राज्य में तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को अंर्तविभागीय समन्वय से लक्ष्य निर्धारित करते हुए तेजी से कार्य किये जाने आवश्यकता है। छत्तीसगढ़ राज्य के तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में तंबाकू एवं तंबाकू उत्पादो का उपयोग न केवल कोरोना के वायरस के संक्रमण को फैलने में सहयोग प्रदान करता है। साथ ही उसकी गंभीरता को बढ़ाते हुये मृत्यु का कारण भी बनता है।
कार्यशाला में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े द यूनीयन के डॉ. राणा जगदीप सिंह ने तंबाकू नियंत्रण के लिए अनेक सुझाव दिए। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में लगभग 80 लाख से अधिक लोग तंबाकू का उपयोग करते हैं। हमें तंबाकू मुक्त छत्तीसगढ़ के लिए ‘‘आओ ग्राम चलें‘‘ जैसे अभियान चलाने की आवश्यकता है। हमें लक्ष्य निर्धारित करना होगा कि प्रदेश के 13 से 15 आयु समूह के बच्चों में वर्ष 2025 तक राज्य में तंबाकू उपयोग की दर को 8 प्रतिशत से 5 प्रतिशत पर लाया जा सके। कार्यशाला में कोटपा अधिनियम 2003 के प्रावधान एवं राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम व विभिन्न विभागों के कार्य दायित्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
साथ ही तंबाकू नियंत्रण के लिए न केवल कोटपा के नियम को और अधिक प्रभावी बनाने, किशोर न्याय अधिनियम, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे महत्वपूर्ण कानूनों को भी कड़ाई से लागू किए जाने की सुझााव दिए गए। कार्यशाला में कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए स्वास्थ्य, खाद्य एवं औषधी प्रशासन, उच्च शिक्षा, पंचायत, श्रम, परिवहन विभाग, सीआईडी, विधि एवं विधायी, उद्योग विभाग, सहित विभिन्न गैर सरकारी के प्रतिनिधि शामिल हुए।