बस्तर की परम्परा, आदिवासी आभूषण, वनोपज लोगों को लुभा रहे, खादी एवं ग्रामोद्योग के स्टॉल में जुट रही खासी भीड़
महिला स्व-सहायता समूह द्वारा बनाए व्यंजनों का लुफ्त उठा रहे हैं लोग, लोगों के उत्साह को देखते हुए प्रदर्शनी की तारीख बढ़ाई गई
रायपुर। राज्य सरकार के तीन साल पूरे होने के अवसर पर राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में विकास प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। इस प्रदर्शनी को लेकर लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा है। यहां बस्तर, कृषि और वन विकास एवं रोजगार मिशन के तीन विशेष डोम के साथ ही विभिन्न विभागों की बीते तीन वर्षों की विकास गाथा को दर्शाती प्रदर्शनी लगाई गई है।
जिसमें बस्तर की परम्परा, आदिवासी आभूषण, वनोपज लोगों को अपनी ओर लुभा रहे हैं। वहीं खादी एवं ग्रामोद्योग के स्टॉल में महिला, पुरुष, युवा और बुजुर्ग जैसे हर वर्ग की खासी भीड़ जुट रही है। यहां महिला व बाल विकास विभाग के स्टॉल में महिला स्व-सहायता समूह द्वारा बनाए व्यंजनों का भी लुफ्त लोग उठा रहे हैं। लोगों के इसी उत्साह को देखते हुए प्रदर्शनी की तारीख बढ़ा दी गई है। अब यह विकास प्रदर्शनी आगामी 6 फरवरी तक लगी रहेगी।
‘न्याय: सब्बो बर-सब्बो डहर’ के ध्येय के साथ काम रही राज्य सरकार के विजन की वजह छत्तीसगढ़ ने समावेशी विकास के नए मॉडल को देश-दुनिया के सामने रखा है। इसी समावेशी विकास मॉडल को रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में विकास प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों के बीच पहुंचाया जा रहा है। 3 फरवरी से प्रदर्शनी का शुरुआत हुई है, जिसका शुभारंभ सांसद राहुल गांधी के मुख्य आतिथ्य में और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विशेष मौजूदगी में हुआ। यह प्रदर्शनी आगामी 6 फरवरी तक रहेगी। विकास प्रदर्शनी को लेकर दूसरे दिन भी लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला।
यहां शुभारंभ कार्यक्रम में पहुंचे राहुल गांधी ने जब बस्तर डोम में कांकेरवैली सीताफल का स्वाद लिया तो कई लोगों में इसके लिए उत्सुकता दिख रही है। आज बड़ी संख्या में लोग कांकेरवैली सीताफल का आइसक्रीम और शेक का आनंद लेने बस्तर डोम में स्थित स्टॉल पहुंचे।
कांकेर वैली सीताफल स्टॉल पहुंचे दिनेश कुमार चंद्राकर एवं उनकी धर्म पत्नी सविता चंद्राकर ने बताया कि अब तक सीताफल का स्वाद तो कई बार चखा है लेकिन कल राहुल गांधी द्वारा जब कांकेरवैली सीताफल का शेक पीने की खबर मिली तो उत्कुसतावश वे भी यहां परिवार के साथ कांकेरवैली सीताफल का स्वाद चखने पहुंच गए। उन्होंने बताया कि वाकई यह अब तक खाए गए सीताफल से कहीं अधिक स्वादिष्ट है।
छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में संचालित वन धन विकास केन्द्र के स्टॉल्स भी लगे हैं। इनमें से वन धन विकास केन्द्र धरमजयगढ़ के सदस्य प्रदर्शनी स्थल पर ही खजूर पत्ते एवं सवई घांस से टोकरी, ट्रे समेत कई डेकोरेटिव आइटम्स बना रहे हैं, जो राजधानीवासियों को खासा आकर्षित कर रहे हैं।
वन धन विकास केन्द्र धरमजयगढ़ की सदस्य शीला राठिया, राजेश्वरी सिदार, मालती राठिया ने बताया कि राज्य सरकार की पहल पर प्रशासन से मिलने वाले सहयोग और मार्गदर्शन से उन्हें रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक संबलता मिली है। वहीं वन धन विकास केन्द्र नारायणपुर की ओर से लुंबनी नाग और संतोषी नाग प्रदर्शनी में अपने रोजगार को लोगों के बीच पहुंचाने शामिल हुई हैं। इन्होंने बताया कि समूह में 160 महिलाएं काम करती हैं। यह सभी नारायणपुर में उपलब्ध होने वाले फूल झाड़ू पौधे का इस्तेमाल झाड़ू बनाने के लिए करती हैं, जिसे विभिन्न माध्यमों से बाजार में बेचकर अच्छी आमदनी हो जाती है।
इधर खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के विभिन्न स्टॉलों को लेकर भी लोगों का आकर्षण देखने को मिल रहा है। प्रदर्शनी स्थल में लगे स्टॉल में लोग कोसा, कॉटन और सूती वस्त्रों की जमकर खरीदी कर रहे हैं। वहीं हाथकरघा विकास एवं विपणन संघ की ओर से लगाए गए स्टॉल में कोसा के वस्त्रों में गोदना की कलाकृति और कसीदाकारी लोगों को खूब भा रही है।
देवगुड़ी का जीवंत मॉडल कर रहा आकर्षित :
साइंस कॉलेज मैदान में लगी प्रदर्शनी युवाओं को भी आकर्षित कर रही है। यहाँ पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के छात्र फलेन्द्र कुमार साहू, संजय और खेमराज साहू पहुँचे थे। इन युवा छात्रों का कहना था कि उन्होंने बस्तर के देवगुड़ी के बारे में तो बहुत सुना था लेकिन कभी बस्तर जाकर देखने का मौक़ा नहीं मिला। यहाँ प्रदर्शनी में स्थापित देवगुड़ी के जीवंत मॉडल को देखकर उन्हें ऐसा लगा जैसे वे सच में मंदिर में देवी के दरबार में हैं। वहीं आंगादेव को किताबों में तो पढ़ा लेकिन यहाँ आंगादेव भी देखने को मिल गया, छात्रों ने इसे अभूतपूर्व अनुभव बताया।