NATIONAL TRIBAL DANCE FESTIVAL Archives - REVOLT NEWS INDIA http://revoltnewsindia.com/tag/national-tribal-dance-festival/ News for India Fri, 29 Oct 2021 10:07:43 +0000 en hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 http://revoltnewsindia.com/wp-content/uploads/2020/05/cropped-LLL-2-32x32.png NATIONAL TRIBAL DANCE FESTIVAL Archives - REVOLT NEWS INDIA http://revoltnewsindia.com/tag/national-tribal-dance-festival/ 32 32 174330959 राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव : ’दूसरे दिन का आगाज, उत्तराखंड की झींझीहन्ना लोकनृत्य के साथ’ http://revoltnewsindia.com/national-tribal-dance-festival-the-second-day-begins-with-jhinjhihanna-folk-dance-of-uttarakhand/4161/ http://revoltnewsindia.com/national-tribal-dance-festival-the-second-day-begins-with-jhinjhihanna-folk-dance-of-uttarakhand/4161/#respond Fri, 29 Oct 2021 10:07:36 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=4161 ’आदिवासियों के रंग बिरंगे पहनावें को देख दर्शक हुए अभिभूत’ ’पारम्परिक त्योहार, अनुष्ठान, फसल कटाई एवं अन्य पारम्परिक विधाओं पर आधारित प्रतियोगिता में विभिन्न राज्यों के नृत्यदलों ने दी आकर्षक…

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  • ’आदिवासियों के रंग बिरंगे पहनावें को देख दर्शक हुए अभिभूत’
  • ’पारम्परिक त्योहार, अनुष्ठान, फसल कटाई एवं अन्य पारम्परिक विधाओं पर आधारित प्रतियोगिता में विभिन्न राज्यों के नृत्यदलों ने दी आकर्षक प्रस्तुति’
  • ’लोक कलाकारों की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियों को लोगों ने सराहा’

रायपुर। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आज दूसरे दिन सुबह 9 बजें से पारम्परिक त्यौहार, अनुष्ठान, फसल कटाई एवं अन्य पारम्परिक विधाओं पर आधारित लोकनृत्य प्रतियोगिता की शुरुआत हुई। इस श्रेणी के प्रतियोगिता की शुरुआत उत्तराखंड के झींझीहन्ना लोक नृत्य के साथ हुआ। यह पारंपरिक नृत्य थारू समुदाय के लोगों द्वारा किया जाता है।

नई फसल आ जाने के उपलक्ष्य में क्वांर-भादो के महीने में गांव के प्रत्येक घर-घर जाकर महिलाओं द्वारा यह नृत्य किया जाता है। झींझी नृत्य में घडे सिर पर रख कर प्रत्येक घर से आटे व चावल का दान लेते हुए और सभी घरों में झींझी खेलने के बाद उस आटे व चावल को इकट्ठा कर झींझी को एक दैवीय रूप मानकर उसे सभी महिलायें विसर्जन करने के लिए नदी में जाती है और उसे विसर्जन कर उस आटे व चावल का पकवान बना कर सभी लोग खाते हैं।

उसी तरह हन्ना नृत्य भी थारू समाज के पुरुषों द्वारा किया जाता है जिसमें पुरुष वर्ग प्रत्येक घर जाकर आटे व चावल का दान लिया करते हैं। इस त्यौहार को भी क्वांर -भादों में एक व्यक्ति हन्ना बनकर गीतों के माध्यम अनुसार नृत्य करता है। हन्ना का संबंध देखा जाये तो मारिच से है। उत्तराखंड टीम द्वारा दोनों को मिलाकर सामूहिक प्रस्तुति दी गयी। उसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतिभागियों द्वारा करमा नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

गौरतलब है कि करमा नृत्य भादों माह में एकादशी तिथि के दिन राजा करम सेन की याद में कर्मा नाच के माध्यम से कलमी (करम डाल के पेड़) के पूजा करके आंगन में उस डाली को स्थापित करते हुए करते हैं और उसमें प्राकृतिक देवता को स्थापित करते हुए पूजा अर्चना करते है और रात भर करमा नाच करते हुए अप्रत्यक्ष रूप में देवी-देवता की नृत्य के माध्यम से स्तुति करते हैं।

इस नृत्य के माध्यम से पर्यावरण को बचाये रखने का संदेश देते है, ताकि हमारा पर्यावरण यथावत बना रहे। नृत्य के माध्यम से नृत्य दल भावभंगिमा, वेशभूषा, नृत्य की कला को प्रदर्शित करते हुए अत्यंत मनोरम, रमणीय प्रस्तुति देते है। इस श्रेणी में तेलांगाना द्वारा गुसाड़ी डिम्सा, झारखंड द्वारा उरांव, राजस्थान गैर घुमरा, जम्मू कश्मीर द्वारा धमाली एवं छत्तीसगढ़ द्वारा गौर सिंग नृत्य की प्रस्तुति की गई।

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राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एवं राज्योत्सव-2021: आधुनिक समाज को प्रकृति प्रेम आदिवासियों से सीखने की जरूरत: राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके http://revoltnewsindia.com/national-tribal-dance-festival-and-rajyotsav-2021-modern-society-needs-to-learn-from-nature-loving-tribals-governor-ms-anusu/4152/ http://revoltnewsindia.com/national-tribal-dance-festival-and-rajyotsav-2021-modern-society-needs-to-learn-from-nature-loving-tribals-governor-ms-anusu/4152/#respond Fri, 29 Oct 2021 07:39:20 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=4152 आदिवासी संस्कृति और उनके कल्याण के क्षेत्र में अनुभव साझा करने का बेहतर अवसर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायपुर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश-दुनिया में…

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आदिवासी संस्कृति और उनके कल्याण के क्षेत्र में अनुभव साझा करने का बेहतर अवसर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश-दुनिया में आदिवासियों की संस्कृति बहुत समृद्ध है। आदिवासी, समृद्ध संस्कृति के वाहक होने के साथ ही प्रकृति के पूजक भी हैं। उनकी जीवनशैली और प्रकृति के बीच एक गहरा सामंजस्य है। आदिवासी न्यूनतम आवश्यकताओं पर जीने वाले होते हैं, यह वास्तव में उनकी जीवनशैली का मूलमंत्र है।

वे प्रकृति से उतना ही लेते हैं, जितनी उन्हें आवश्यकता होती है, क्योंकि वे धरती को अपनी माता मानते हैं। आधुनिक समाज को कई मायनों में उनसे बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।

आज विश्व, जलवायु परिवर्तन के कारण अनेकों समस्याओं का सामना कर रहा है, इसे हल करने का उपाय प्रकृति से प्रेम करने में और उसका आदर करने में छिपा हुआ है। उक्त बातें राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके ने साईंस कॉलेज मैदान में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एवं राज्योत्सव 2021 के अवसर पर कही।

राज्यपाल सुश्री उइके ने इस समारोह में देश के विभिन्न राज्यों के साथ विदेशों से आए लोक कलाकारों का छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्वागत करते हुए कहा कि हमारे देश में अतिथि देवो भवः की परम्परा है। मुझे विश्वास है कि यहां पधारे अतिथि, छत्तीसगढ़ में अपने प्रवास का आनंद लेंगे और सुखद यादें लेकर जाएंगे। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की अग्रिम बधाई भी दी। 

राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दौरान अनेकता में एकता की अनोखी छटा दिखाई दे रही है। ऐसा लग रहा है, मानो यहां लघु भारत आ गया है। यह महोत्सव, विभिन्न परंपराओं और संस्कृतियों का संगम है। इस सुंदर और भव्य राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी पूरी टीम को बधाई दीं।

उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य शासन मिलकर आदिवासी हितों की रक्षा के साथ शिक्षा, आर्थिक कल्याण और सामुदायिक उत्थान को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए उन्हें जागरूक करना और सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाना जरूरी है।

इस दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महती प्रयास किए जा रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि इस राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में विदेशी कलाकारों के नृत्य के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के करमा, सुआ, शैला आदि देखने को मिलेगा, वहीं विभिन्न प्रदेशों के मनमोहक लोक नृत्य देखने को मिलेंगे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से जनजातीय समुदायों के बीच कला और संस्कृति की साझेदारी तो हो ही रही है, गौर करने वाली बात यह भी है कि इन समुदायों के कल्याण के लिए देशभर में काम कर रहे

लोग भी एक दूसरे से अपने अनुभवों और उपलब्धियों को साझा कर रहे हैं और एक दूसरे से प्रेरणा ले रहे हैं। इस तरह समग्र रूप में यह आयोजन राष्ट्रीय जनजातीय परिदृश्य में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

मुख्यमंत्री बघेल ने आगे कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के इस आयोजन से पूरे छत्तीसगढ़ में जिस तरह के वातावरण का निर्माण हुआ है, उससे ऐसा लग रहा है कि हमारी दीवाली आज से ही शुरु हो गई है।

इस साल छत्तीसगढ़ के लोगों की दीवाली लंबी होने वाली है। इससे जाहिर है कि हमारी खुशियां भी दोगुनी होने वाली है। लोक-गीत, लोक-नृत्य, लोक-शिल्प, लोक-वाद्य और लोक-परंपराएं जब आपस में मिलती हैं, तभी गांवों में दीवाली सजती है। ठीक यही वह समय होता है जब खेतों में धान की बालियां भी सुनहरी होने लगती हैं। छत्तीसगढ़ में इस बार ये सारा संजोग आज से ही शुरु हो गया है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह खुशी की बात है कि छत्तीसगढ़ में देश-विदेश के पहुना पधारे हैं। देश-विदेश से पधारे मेहमानों ने यहां आकर जो आत्मीयता दिखाई है, उससे हम छत्तीसगढ़िया लोग अभिभूत हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया, फेसबुक, ट्विटर के माध्यम से न केवल पूरा छत्तीसगढ़, बल्कि देश और दुनिया लाइव देख रही है।

सांसद राहुल गांधी ने भी आज अपना संदेश भेजकर छत्तीसगढ़ शासन के प्रयासों की सराहना की है। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के जनजातीय कलाकारों को मंच प्रदान करने, प्राचीन संस्कृति और परंपराओं से लोगों को परिचित कराने के लिए हो रहे इस आयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाएं व्यक्त की हैं।

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के इस आयोजन की प्रेरणा राहुल गांधी से ही मिली थी। वर्ष 2019 में जब राज्य में पहली पर यह आयोजन हुआ था, तब उन्होंने ही स्वयं उपस्थित होकर इस नयी परंपरा का शुभारंभ किया था। आदिवासियों, किसानों और वनाश्रितों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के साथ-साथ उनकी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण के लिए उन्होंने हमें लगातार निर्देशित किया है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम राज्य में आदिवासी समुदाय को उनके अधिकार, हक और न्याय देने के लिए हर पात्र वनवासी को वन अधिकार पट्टों का वितरण, तेंदूपत्ता और लघु वनोपजों के मूल्य में वृद्धि, समर्थन मूल्य पर उनके उपज की खरीदी के साथ ही लघुवनोपज एवं कृषि उत्पादों के वैल्यू एडीशन का काम कर रहे है।

राज्य में किसानों की कर्ज मुक्ति, स्व-सहायता समूहों के ऋण की माफी, सुराजी गांव योजना के माध्यम से ग्राम-सुराज के सपने को साकार करने, राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिये किसानों को आदान सहायता देने, राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मजदूर न्याय योजना के माध्यम से भूमिहिनों को आर्थिक सहायता, गोधन न्याय योजना के जरिये पशुपालन और कृषि को मजबूत करते हुए महिलाओं के लिए रोजगार

और आय के अवसरों का निर्माण करने जैसी योजनाएं संचालित की हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल सुश्री उईके के मार्गदर्शन में मेरे मंत्रीमंडल के साथियों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के सहयोग से छत्तीसगढ़ में विकास का वातावरण निर्मित हुआ है।

इस मौके पर मध्यप्रदेश छिंदवाड़ा से आए लोक नर्तक दल, उज्बेकिस्तान स्वाजीलैण्ड के नर्तक दलों ने शानदार प्रस्तुति दी। हिमांचल प्रदेश के लोक नर्तक दल के कलाकारों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को हिमांचली टोपी और शॉल भेंटकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में मंत्रीगण, निगम, आयोग एवं मंडल के पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में दर्शकगण मौजूद थे। 

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राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव : छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के मुख्यमंत्रियों ने ठोड़का और तुरही के साथ की जुगलबंदी http://revoltnewsindia.com/national-tribal-dance-festival-the-chief-ministers-of-chhattisgarh-and-jharkhand-juggled-with-trumpet-and-trumpet/4145/ http://revoltnewsindia.com/national-tribal-dance-festival-the-chief-ministers-of-chhattisgarh-and-jharkhand-juggled-with-trumpet-and-trumpet/4145/#respond Thu, 28 Oct 2021 13:40:57 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=4145 सोरेन और बघेल ने आदिवासी जीवन शैली और विकास योजनाओं पर केंद्रित प्रदर्शनी का किया उद्घाटनमुख्यमंत्री बघेल ने प्रदर्शनी में बनाये गए गौठान के मॉडल पर सोरेन के साथ ली…

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सोरेन और बघेल ने आदिवासी जीवन शैली और विकास योजनाओं पर केंद्रित प्रदर्शनी का किया उद्घाटन
मुख्यमंत्री बघेल ने प्रदर्शनी में बनाये गए गौठान के मॉडल पर सोरेन के साथ ली सेल्फी
सोरेन ने छत्तीसगढ़ के मुर्रा का चखा स्वाद, आजीविका गुड़ी में किया तेलघानी मशीन का अवलोकन

रायपुर। राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान पर चल रहे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दौरान दो आदवासी बाहुल्य राज्यों छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के मुख्यमंत्रियों ने भी पारंपरिक वाद्य ठोड़का और तुरही बजाकर जुगलबंदी की। झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जब ठोड़का बजाना शुरू किया तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तुरही बजाकर उनका साथ दिया।

यह दिलचस्प नजारा जनसंपर्क विभाग द्वारा लगाए गए स्टॉल पर नजर आया। इस स्टॉल में जनजातीय समुदायों में प्रचलित पारंपरिक वाद्य यंत्रों को प्रदर्शित किया गया है।

राजधानी रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव-राज्योत्सव 2021 के मुख्य अतिथि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ आयोजन स्थल में छत्तीसगढ़ शासन के विभिन्न विभागों द्वारा लगायी गई विकास प्रदर्शनी का शुभारंभ कर उसका अवलोकन किया।

मुख्यमंत्री द्वय ने जल संसाधन विभाग, लोक निर्माण विभाग, कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग, आजीविका गुड़ी (आरआईपीए) के स्टालों का निरीक्षण कर उनके कार्य प्रणाली से अवगत हुए।

आजीविका गुड़ी (आरआईपीए) में लघु वनोपज प्रसंस्करण इकाइयों के निरीक्षण के दौरान उन्होंने मिनी ऑयल मिल, मिनी दाल मिल और मुर्रा, चना, लाई, पॉपकार्न फोड़ने जैसे अन्य लघु इकाइयों की कार्य प्रणाली का अवलोकन किया।

इस दौरान सोरेन ने छत्तीसगढ़ी मुर्रा का स्वाद भी चखा। मुख्यमंत्री बघेल ने मुख्य अतिथि सोरेन को कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा सुराजी गांव योजना के तहत निर्मित गौठान का मॉडल दिखाकर वहाँ संचालित होने वाली आजीविका सम्बंधित गतिविधियों से अवगत कराया। इसके साथ ही इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने विश्वविद्यालय में उत्पादित किये जा रहे रागी आटा, कोदो, चावल, हर्बल गुलाल एवं चावल की विभिन्न प्रजातियों के बारे में बताया। 

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राष्ट्रीय आदिवासी लोक नृत्य महोत्सव में कलाकारों का उत्साह चरम पर… http://revoltnewsindia.com/enthusiasm-of-the-artists-at-the-national-tribal-folk-dance-festival-is-at-its-peak/4136/ http://revoltnewsindia.com/enthusiasm-of-the-artists-at-the-national-tribal-folk-dance-festival-is-at-its-peak/4136/#respond Thu, 28 Oct 2021 11:29:46 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=4136 देश-विदेश के कलाकार छत्तीसगढ़ में आकर अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में देश-विदेश के…

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देश-विदेश के कलाकार छत्तीसगढ़ में आकर अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में देश-विदेश के कलाकार पहुंचे हैं। कलाकारों में भारी उत्साह देखा जा रहा है। आज सुबह साईंस कॉलेज मैदान पहुंचे कलाकारों ने मंच पर पहुंचेने से पहले मैदान में अपना रिहर्सल किया। कलाकारों ने बताया कि छत्तीसगढ़ आकर वे रोमांचित एवं उत्साहित हैं।

यहां उन्हें अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए शानदार मंच है। देश के अंतिम छोर केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप से आए प्रतिभागी कलाकार मुमताज ने बताया कि हमारी टीम में 20 कलाकार है। कल देर शाम हम रायपुर पहुंचे। यहां पर हमें सभी प्रकार की सुविधाएं छत्तीसगढ़ शासन ने मुहैय्या कराई है।

यहां पर किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं हुई है। हम पहली बार राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं। हम रोमांचित और उत्साहित है। हमारे द्वारा बंदिया लोक नृत्य की प्रस्तुति की जाएगी। इसी तरह से हरियाणा के केथल शहर से आए मुस्कान शामी एवं कृष्ण कुमार शर्मा ने बताया कि हमारे द्वारा हरियाणवी लोकनृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। हम कल दोपहर को रायपुर पहुंचे है। प्रशासन द्वारा यहां बेहतर व्यवस्था की गई है।

यहां पुलिस प्रशासन की व्यवस्था को कलाकारों ने प्रशंसा की तथा कलाकारों के ठहरने, खाने की व्यवस्था की तारीफ की। इसी तरह से पुडुचेरी से आए कलाकार मुरगन ने कहा कि हम पहली बार इस राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव में सम्मिलित होकर उत्साहित है। यहां की सभी व्यवस्थाएं उत्कृष्ट है। हमें किसी प्रकार की तकलीफ नहीं हुई।

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने प्रतिभागियों से मुलाकात कर कलाकारों का हाल जाना। इस दौरान उन्होंने लक्षद्वीप, पुडुचेरी के कलाकारों के साथ स्वयं रू-ब-रू होकर उनके साथ फोटो सेल्फी लेते हुए उनकी संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त की। प्रतिभागी कलाकारों ने उत्साह से उन्हें बताया कि हम यहां आकर रोमांचित हैं और अपने आपको गौरावान्वित महसूस कर रहे हैं। आने वाले समय में ऐसे कार्यक्रम देशभर में होना चाहिए।

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सांसद राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन की शुभकामनाएं दी हैं… http://revoltnewsindia.com/mp-rahul-gandhi-has-wished-for-the-organization-of-national-tribal-dance-festival-in-chhattisgarh/4131/ http://revoltnewsindia.com/mp-rahul-gandhi-has-wished-for-the-organization-of-national-tribal-dance-festival-in-chhattisgarh/4131/#respond Thu, 28 Oct 2021 10:04:04 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=4131 रायपुर। सांसद राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन की  शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने शुभकामना संदेश में देश के आदिवासी कलाकारों को एक मंच प्रदान…

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रायपुर। सांसद राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन की  शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने शुभकामना संदेश में देश के आदिवासी कलाकारों को एक मंच प्रदान करते हुए अपनी अनूठी सांस्कृतिक परंपराओं को प्रदर्शित करने का अवसर दिए जाने पर छत्तीसगढ़ शासन को बधाई दी है।

राहुल गाँधी द्वारा राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के लिए बधाई सन्देश देने पर सीएम भूपेश बघेल ने ट्विट कर उनके प्रति कृतज्ञता जाहिर की I वही उन्होंने महोत्सव को सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रतिबद्धता बताया I

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LIVE : राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2021 का भव्य शुभारंभ… http://revoltnewsindia.com/grand-launch-of-live-national-tribal-dance-festival-2021/4123/ http://revoltnewsindia.com/grand-launch-of-live-national-tribal-dance-festival-2021/4123/#respond Thu, 28 Oct 2021 07:44:47 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=4123 रायपुर। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आज भव्य शुभारंभ किया जा रहा है। इस महोत्सव का आयोजन राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान किया गया है। इस महोत्सव के उद्घाटन समारोह…

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रायपुर। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आज भव्य शुभारंभ किया जा रहा है। इस महोत्सव का आयोजन राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान किया गया है। इस महोत्सव के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शामिल हुए हैं, वहीं इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएम भूपेश बघेल कर रहे हैं। इस महोत्सव में विशिष्ट अतिथि के तौर पर कई बड़े नेताओं ने शिरकत की है।

इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में हर देश और प्रांत के कलाकार अपनी प्रस्तुति देने पहुंचे हैं। जिसमें 07 देश, 27 राज्य और 06 केन्द्र शासित प्रदेशों से आए नर्तक दल पूरे जोश और उत्साह के साथ रंगा-रंग प्रस्तुति के लिए तैयार है।

आज के कार्यक्रम के प्रारूप
दोपहर 12.30 से 2 बजे तक नाइजीरिया, फिलीस्तीन, छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा के नर्तक दल अपनी प्रस्तुति देंगे। फिर सभी मेहमान आयोजन स्थल पर लगी प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे।इसके बाद आदिवासी नृत्य महोत्सव की प्रतियोगिताएं शुरू होंगी। दोपहर 2.30 बजे से विवाह संस्कार विधा पर नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।

इसमें कर्मा नृत्य, मध्य प्रदेश का कर्मा, झारखंड का कोडसी, जम्मू-कश्मीर का गोजरी नृत्य, आंध्र प्रदेश का गुरयाबल्लु, असम का कारबी-तिवा, आंध्र प्रदेश का डिम्सा, ओडिशा का धप, तेलंगाना का कोम्मुकोया, मध्य प्रदेश का दंडार, ओडिशा का बोण्डा और गुजरात का मेवासी नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी।

वहीं, शाम 6.30 से रात्रि 7.30 बजे तक पारंम्परिक त्यौहार एवं अनुष्ठान, फसल कटाई-कृषि एवं अन्य पारंपरिक विधाओं के नृत्यों की प्रतियोगिता छत्तीसगढ़ का करमा नृत्य, उत्तराखंड का झींझीं हन्ना, तेलंगाना का गुसाड़ी-डिम्सा, झारखंड का उरांव और गुजरात के सिद्धी गोमा नृत्य की प्रस्तुति होनी है।

शाम को विदेशी नर्तक देंगे प्रस्तुति
महोत्सव में शाम 8 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक विदेशों से आए लोक नर्तक अपनी कला-संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे। इसमें राज्यपाल अनुसुईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उपस्थित रहेंगे। इसमें स्वाजीलैण्ड, उज्बेकिस्तान और माली के नर्तक दल अपनी प्रस्तुति देंगे।

दूसरे दिन के कार्यक्रम प्रारूप
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस सत्र की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत करने वाले हैं। बता दें कि इसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल होंगे। वहीं, 30 अक्टूबर को रात 8 बजे से समारोह का पुरस्कार वितरण किया जाएगा।

इसके अलावा एक नवम्बर को 21वां राज्य स्थापना दिवस पर राज्य अलंकरण समारोह का भी आयोजन किया जाना है।

देखेंगे-LIVE VIDEO

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संस्कृति मंत्री भगत ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव आयोजन स्थल की तैयारियों का लिया जायजा http://revoltnewsindia.com/culture-minister-bhagat-took-stock-of-the-preparations-for-the-venue-of-the-national-tribal-dance-festival/4105/ http://revoltnewsindia.com/culture-minister-bhagat-took-stock-of-the-preparations-for-the-venue-of-the-national-tribal-dance-festival/4105/#respond Wed, 27 Oct 2021 13:08:11 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=4105 साइंस कॉलेज मैदान में तैयार हो रहा है मुख्य मंच एवं शासकीय विभागों का स्टॉल 28 अक्टूबर से तीन दिवसीय भव्य राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव रायपुर, 27 अक्टूबर 2021 संस्कृति…

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  • साइंस कॉलेज मैदान में तैयार हो रहा है मुख्य मंच एवं शासकीय विभागों का स्टॉल
  • 28 अक्टूबर से तीन दिवसीय भव्य राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव

रायपुर, 27 अक्टूबर 2021 संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत आज दोपहर राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के लिए तैयार हो रहे मुख्य मंच और शासकीय विभागों के स्टालों सहित अन्य व्यवस्थाओं की तैयारियों का जायजा लिया।

उन्होंने मुख्य समारोह स्थल के साथ-साथ विभागीय स्टालों में बिजली-पानी, साज-सज्जा सहित आगंतुकों के आने-जाने के व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था सहित सभी आवश्यक पहलुओं की बारीकी से निरीक्षण कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक आकर्षक राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाना है। इस संबंध में सभी आवश्यक तैयारी पूर्ण कर ली जाये।

इसके अलावा एक नवम्बर को 21वां राज्य स्थापना दिवस पर राज्य अलंकरण समारोह का भी आयोजन किया जाना है। इस दृष्टिकोण से सभी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

मंत्री भगत ने पार्किंग  व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा केंद्र, पुलिस नियंत्रण कक्ष सहित सभी जरूरी तैयारियां पूर्ण रखने के निर्देश अधिकारियों को दिए। इस मौके पर जनप्रतिनिधिगण सहित संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य व संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।    

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राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में यातायात सुचारू करने के लिए ट्रैफिक पुलिस द्वारा बनाया गया रोड मैप… http://revoltnewsindia.com/road-map-created-by-the-traffic-police-to-facilitate-traffic-at-the-national-tribal-dance-festival/4090/ http://revoltnewsindia.com/road-map-created-by-the-traffic-police-to-facilitate-traffic-at-the-national-tribal-dance-festival/4090/#respond Wed, 27 Oct 2021 11:51:08 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=4090 रायपुर। रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में 28 अक्टूबर से आयोजित किए जा रहे राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव के दौरान वाहनों के सुचारू एवं सुविधापूर्वक आगमन के लिए यातायात पुलिस रायपुर…

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रायपुर। रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में 28 अक्टूबर से आयोजित किए जा रहे राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव के दौरान वाहनों के सुचारू एवं सुविधापूर्वक आगमन के लिए यातायात पुलिस रायपुर द्वारा मार्गों का निर्धारण और पार्किंग व्यवस्था की गई है। बाहर से आने वाले वाहनों के लिए निर्धारित मार्ग से कांगेरवेली अकादमी होते हुए एनसीसी मैदान में पार्किंग की व्यवस्था की गई है।

रायपुर शहर से आने वाले वाहन के लिए निर्धारित मार्ग से होते हुए साईंस कॉलेज पार्किंग, आयुर्वेदिक कॉलेज पार्किंग, एनआईटी पार्किंग में वाहन पार्क करने की व्यवस्था की गई है।

धमतरी, गरियाबंद, कांकेर की ओर से आने वाले वाहन पचपेड़ीनाका से रिंग रोड नंबर 01 होकर सरोना ओव्हरब्रिज के पहले टोयटा शो रूम के पास से आमानाका थाना मोड़ होकर कांगेरवेली एकेडमी के सामने से एनसीसी मैदान स्थित निर्धारित पार्किंग स्थल पर अपना वाहन पार्क कर पैदल कार्यक्रम स्थल पहुंचेंगे- पचपेड़ीनाका चौक-भांठागांव चौक-कुशालपुर चौक-रायपुराचौक-सरोना ओव्हरब्रिज-आमानाका थाना चौक-कांगेरवेली अकेडमी-एन.सी.सी.मैदान सामान्य पार्किंग।

महासमुंद, आरंग की ओर से आने वाले वाहन तेलीबांधा थाना चौक से पचपेड़ी नाका होकर रिंग रोड नंबर 01 से सरोना ओव्हरब्रिज के पहले टोयटा शो रूम के पास से आमानाका थाना मोड़ होकर कांगेरवेली एकेडमी के सामने से एनसीसी मैदान स्थित निर्धारित पार्किंग स्थल पर अपना वाहन पार्क कर पैदल कार्यक्रम स्थल पहुंचेंगे-महासमुंद-दबैरियर-पचपेड़ीनाका चौक-भांठागांव चौक-कुशालपुर चौक-रायपुराचौक-सरोना ओव्हरब्रिज-आमानाका थाना चौक-कांगेरवेली अकेडमी-एन.सी.सी.मैदान सामान्य पार्किंग।

बलौदाबाजार की ओर से आने वाले वाहन विधानसभा चौक ब्रिज के नीचे रिंग रोड नंबर 03 होकर राजू ढ़ाबा से तेलीबांधा थाना तिराहा पचपेड़ीनाका चौक रायपुरा चौक अरिहंत नगर चौक से आमानाका थाना तिराहा होकर कांगेरवेली एकेडमी के सामने से एनसीसी मैदान स्थित निर्धारित पार्किंग स्थल पर अपना वाहन पार्क कर पैदल कार्यक्रम स्थल पहुंचेंगे-विधानसभा चौक-राजू ढाबा-तेलीबांधा थाना-पचपेड़ीनाका चौक-सरोना ओव्हरब्रिज-आमानाका थाना चौक-कांगेरवेली अकेडमी-एनसीसी मैदान सामान्य पार्किंग।

बिलासपुर की ओर से आने वाले वाहन भनपुरी तिराहा से रिंग रोड नंबर 02 होकर टीटीबंध चौक से अरिहंत नगर चौक से आमानाका थाना मोड़ होकर कांगेरवेली एकेडमी के सामने से एनसीसी मैदान स्थित निर्धारित पार्किंग स्थल पर अपना वाहन पार्क कर पैदल कार्यक्रम स्थल पहुंचेंगे-भनपुरी तिराहा-टाटीबंध चौक-अरिहंत नगर चौक-कांगेरवेली अकादमी-एनसीसी मैदान सामान्य पार्किंग।

दुर्ग-भिलाई की ओर से आने वाले वाहन टाटीबंध चौक से अरिहंत नगर चौक से आमानाका थाना मोड़ से कांगेरवेली अकादमी होकर एनसीसी मैदान पार्किंग स्थल पर अपना वाहन पार्क कर पैदल कार्यक्रम स्थल पहुंचेंगे-टाटीबंध चौक-अरिहंतनगर चौक-आमानाका थाना मोड़-कांगेरवेली अकादमी-एनसीसी मैदान सामान्य पार्किंग।

रायपुर शहर से आने वाले वाहन शास्त्री चौक से जयस्तंभ चौक से आश्रम तिराहा-अनुपम गार्डन चौक होकर 01 साईंस कॉलेज मैदान पार्किंग, 02 आयुर्वेदिक कॉलेज मैदान पार्किंग, 03 एनआईटी मैदान स्थित निर्धारित पार्किंग स्थल पर अपना वाहन पार्क कर पैदल कार्यक्रम स्थल पहुंचेंगे-जयस्तंभ चौक-आश्रम तिराहा-अनुपमगार्डन चौक-01साईंस कॉलेज पार्किंग, 02 आयुर्वेदिक कॉलेज पार्किंग, 03 एनआईटी पार्किंग।

यातायात निर्देशिका pdf click here….

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विशेष लेख : ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव‘ : बैगा और माड़िया जनजाति के प्रमुख लोक नृत्य http://revoltnewsindia.com/special-article-national-tribal-dance-festival-major-folk-dances-of-baiga-and-madiya-tribes/4075/ http://revoltnewsindia.com/special-article-national-tribal-dance-festival-major-folk-dances-of-baiga-and-madiya-tribes/4075/#respond Wed, 27 Oct 2021 08:26:31 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=4075 रायपुर। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, लोक गीत, नृत्य और संपूर्ण कलाओं से परिचित होगा देश और विदेश। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में यह आयोजन 28…

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रायपुर। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, लोक गीत, नृत्य और संपूर्ण कलाओं से परिचित होगा देश और विदेश। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में यह आयोजन 28 से 30 अक्टूबर तक किया जा रहा है। राजधानी का साईंस कॉलेज मैदान आयोजन के लिए सज-धज कर तैयार हो चुका है। इस महोत्सव में विभिन्न राज्यों के आदिवासी लोक नर्तक दल के अलावा देश-विदेश के नर्तक दल भी अपनी प्रस्तुति देंगे।

छत्तीसगढ़ राज्य की 5 विशेष पिछड़ी जनजातियों में से एक बैगा जनजाति है। राज्य के कबीरधाम, मुंगेली, राजनांदगांव, बिलासपुर और कोरिया जिले में निवासरत है।

बैगा जनजाति अपने ईष्ट देव की स्तुति, तीज-त्यौहार, उत्सव एवं मनोरंजन की दृष्टि से विभिन्न लोकगीत एवं नृत्य का गायन समूह में करते हैं। इनके लोकगीत और नृत्य में करमा, रीना-सैला, ददरिया, बिहाव, फाग आदि प्रमुख हैं।

इसी प्रकार दण्डामी माड़िया जनजाति गोंड़ जनजाति की उपजाति है। सर डब्ल्यू. वी. ग्रिगसन ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ’द माड़िया जनजाति के सदस्यों द्वारा नृत्य के दौरान पहने जाने वाले गौर सिंग मुकुट के आधार पर ’बायसन हार्न माड़िया‘ जनजाति नाम दिया।

प्रसिद्ध मानव वैज्ञानिक वेरियर एल्विन का ग्रंथ ’द माड़िया-मर्डर एंड सुसाइड‘ (1941) दण्डामी माड़िया जनजाति पर आधारित है। बैगा और माड़िया जनजाति के रस्मों-रिवाजों पर आधारित प्रमुख लोक नृत्य इस प्रकार हैं।

’रीना सैला नृत्य‘
बैगा जनजाति का प्रकृति एवं वनों से निकट संबंध है। जिसका बखान इनके लोक संस्कृति में व्यापक रूप से देखने को मिलता है। बैगा जनजाति की माताएं, महिलाएं अपने प्रेम एवं वात्सल्य से देवी-देवताओं और अपनी संस्कृति का गुणगान गायन के माध्यम से उनमें गीत एवं नृत्य से बच्चों को परिचित करने का प्रयास करती है।

साथ ही बैगा माताएं अपने छोटे शिशु को सिखाने एवं वात्सल्य के रूप में रीना का गायन करती हैं। वेशभूषा महिलाएं सफेद रंग की साड़ी धारण करती हैं। गले में सुता-माला, कान में ढार, बांह में नागमोरी, हाथ में चूड़ी, पैर में कांसे का चूड़ा एवं ककनी, बनुरिया से श्रृंगार करती हैं। वाद्य यंत्रों में ढोल, टीमकी, बांसुरी, ठीसकी, पैजना आदि का प्रयोग किया जाता है।

सैला बैगा जनजाति के पुरूषों के द्वारा सैला नृत्य शैला ईष्ट देव एवं पूर्वज देव जैसे-करमदेव, ग्राम देव, ठाकुर देव, धरती माता तथा कुल देव नांगा बैगा, बैगीन को सुमिरन कर अपने फसलों के पक जाने पर धन्यवाद स्वरूप अपने परिवार के सुख-समृद्धि की स्थिति का एक दूसरे को शैला गीत एवं नृत्य के माध्यम से बताने का प्रयास किया जाता है।

इनकी वेशभूषा पुरूष धोती, कुरता, जॉकेट, पगड़ी, पैर में पैजना, गले में रंगबिरंगी सूता माला धारण करते है। वाद्य यंत्रों में मांदर,ढोल, टीमकी, बांसुरी, पैजना आदि का प्रमुख रूप से उपयोग करते हैं। बोली बैगा जनजाति द्वारा रीना एवं शैला का गायन स्वयं की बैगानी बोली में किया जाता है। यह नृत्य प्रायः क्वार से कार्तिक माह के बीच मनाए जाने वाले उत्सवों, त्यौहारों में किया जाता है।

’दशहेरा करमा नृत्य‘
बैगा जनजाति समुदाय द्वारा करमा नृत्य भादो पुन्नी से माधी पुन्नी के समय किया जाता है। इस समुदाय के पुरूष सदस्य अन्य ग्रामों में जाकर करमा नृत्य के लिए ग्राम के सदस्यों को आवाहन करते हैं। जिसके प्रतिउत्तर में उस ग्राम की महिलाएं श्रृंगार कर आती है।

इसके बाद प्रश्नोत्तरी के रूप में करमा गायन एवं नृत्य किया जाता है। इसी प्रकार अन्य ग्राम से आमंत्रण आने पर भी बैगा स्त्री-पुरूष के दल द्वारा करमा किया जाता है। करमा रात्रि के समय ग्राम में एक निर्धारित खुला स्थान जिस खरना कहा जाता है में अलाव जलाकर सभी आयु के स्त्री, पुरूष एवं बच्चे नृत्य करते हुए करते है। अपने सुख-दुःख को एक-दूसरे को प्रश्न एवं उत्तर के रूप में गीत एवं नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करते है।

करमा नृत्य के माध्यम से बैगा जनजाति में परस्पर सामन्जस्य, सुख-दुःख के लेन देन के साथ ही नव युवक-युवतियां भी आपस में परिचय प्राप्त करते है। इस नृत्य में महिला सदस्यों द्वारा विशेष श्रृंगार किया जाता है।

जिसमें यह चरखाना (खादी) का प्रायः लाल एवं सफेद रंग का लुगड़ा, लाल रंग की ब्लाउज, सिर पर मोर पंख की कलगी, कानों में ढार, गले में सुता-माला, बांह में नागमोरी, कलाई में रंगीन चूड़िया एवं पैरों में पाजनी और विशेष रूप से सिर के बाल से कमर के नीचे तक बीरन घास की बनी लड़ियां धारण करती हैं, जिससे इनका सौंदर्य एवं श्रृंगार देखते ही बनता है।

पुरूष वर्ग भी श्रृंगार के रूप में सफेद रंग की धोती, कुरता, काले रंग की कोट, जाकेट, सिर पर मोर पंख लगी पगड़ी और गले में आवश्यकतानुसार माला धारण करते हैं। वाद्य यंत्रों में मांदर, टिमकी, ढोल, बांसुरी, ठिचकी, पैजना आदि का उपयोग किया जाता है।

’करसाड़ नृत्य‘
दण्डामी माड़िया जनजाति नृत्य के दौरान पहने जाने वाले गौर सिंग मुकुट, बस्तर, दशहरा के अंतिम दिनों में चलने वाले विशालकाय काष्ठ रथ को खींचने का विशेषाधिकार और स्वभाव के लिए प्रसिद्ध है। इस नृत्य में दण्डामी माड़िया पुरूष सिर पर कपड़े की पगड़ी या साफा, मोती, माला, कुर्ता या शर्ट, धोती एवं काले रंग का हाफ कोट धारण करते हैं।

वहीं महिलाएं साड़ी, ब्लाउज, माथे पर कौड़िया से युक्त पट्टा, गले में विभिन्न प्रकार की माला और गले, कलाई, पैरों पर बाजार में मिलने वाले सामान्य आभूषण पहनती हैं। करसाड़ नृत्य के लिए पुरूष सदस्य अपने गले में लटका कर ढोल एवं मांदर का प्रयोग करता है। महिलाएं लोहे के रॉड के उपरी सिरे में लोहे की विशिष्ट घंटियों से युक्त ’गुजिड़‘ नामक का प्रयोग करती है।

एक पुरूष सदस्य सीटी का प्रयोग करत है, नृत्य के दौरान सीटी की आवाज से ही नर्तक स्टेप बदलते हैं। नृत्य के प्रदर्शन का अवसर दण्डामी माड़िया जनजाति में करसाड़ नृत्य वार्षिक करसाड़ जात्रा के दौरान धार्मिक उत्सव में करते हैं।

करसाड़ दण्डामी माड़िया जनजाति का प्रमुख त्यौहार है। करसाड़ के दिन सभी आमंत्रित देवी-देवाताओं की पूजा की जाती हैं और पुजारी, सिरहा देवी-देवताओं के प्रतीक चिन्हों जैसे-डोला, छत्रा, लाट बैरम आदि के साथ जुलूस निकालते हैं। जुलूस की समाप्ति के पश्चात् शाम को युवक-युवतियां अपने विशिष्ट नृत्य पोषाक में सज-सवरकर एकत्र होकर सारी रात नृत्य करते हैं।

’मांदरी नृत्य‘
दंडामी माड़िया जनजाति नृत्य के दौरान पहने जाने वाले गौर सिंग मुकुट, बस्तर दशहरा के अंतिम दिनों में चलने वाले विशालकाय काष्ठ रथ को खींचने का विशेषाधिकार और स्वभाव के लिए प्रसिद्ध है। दंडामी माड़िया जनजाति के सदस्य नृत्य के दौरान पहने जाने वाले गौर सिंग मुकुट को माड़िया समुदाय के वीरता तथा साहस का प्रतीक मानते हैं।

इस नृत्य की वेशभूषा में दंडामी माड़िया पुरूष सिर पर कपड़े की पगड़ी या साफा, मोती माला, कुर्ता या शर्ट, धोती एवं काले रंग का हाफ कोट धारण करते हैं। वहीं महिलाएं साड़ी, ब्लाउज, माथे पर कौड़ियों से युक्त पट्टा, गले में विभिन्न प्रकार की माला और गले, कलाई, पैरों पर बाजार में मिलने वाले सामान्य आभूषण पहनी हैं। वाद्य यंत्र मांदरी नृत्य के लिए पुरूष सदस्य अपने गले में लटकाकर ढोल एवं मांदर वाद्य का प्रयोग करते हैं।

महिलाएं लोहे के रॉड के उपरी सिरे में लोहे की विशिष्ट घंटियों से युक्त ‘गुजिड़’ का प्रयोग करती हैं। एक पुरूष सदस्य सीटी का प्रयोग करता है, नृत्य के दौरान सीटी की आवाज से ही नर्तक स्टेप बदलते हैं। यह नृत्य दंडामी विवाह, मेला-मंड़ई, धार्मिक उत्सव और मनोरंजन के अवसर पर किया जाता है। विवाह के दौरान अलग-अलग गांवों के अनेक नर्तक दल विवाह स्थल पर आकर नृत्य का प्रदर्शन करते हैं।

जिसके बदले में उन्हें ‘लांदा’ (चावल की शराब) और ‘दाड़गो’ (महुए की शराब) दी जाती हैं। दंडामी माड़िया जनजाति के सदस्यों का मानना है कि गौर सिंग नृत्य उनके सामाजिक एकता, सहयोग और उत्साह में वृद्धि करता है। वर्तमान में दंडामी माड़िया जनजाति का गौर सिंग नृत्य अनेक सामाजिक तथा सांस्कृतिक आयोजनों में भी प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया जाता है।

विशेष लेख : ललित चतुर्वेदी, उप संचालक जनसंपर्क

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राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में शामिल होने अंतर्राष्ट्रीय कलाकार पहुंच राजधानी रायपुर http://revoltnewsindia.com/joining-the-national-tribal-dance-festival-international-artists-reach-capital-raipur/4012/ http://revoltnewsindia.com/joining-the-national-tribal-dance-festival-international-artists-reach-capital-raipur/4012/#respond Mon, 25 Oct 2021 09:26:11 +0000 http://revoltnewsindia.com/?p=4012 राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव : नाइजीरिया के कलाकारों के रायपुर पहुंचने पर संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत नेे किया आत्मीय स्वागत कलाकारों ने कहा छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य का…

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राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव : नाइजीरिया के कलाकारों के रायपुर पहुंचने पर संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत नेे किया आत्मीय स्वागत

कलाकारों ने कहा छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य का आयोजन एक यूनिक कार्यक्रम
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया बोलकर किया अभिवादन स्वीकार

रायपुर। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में शामिल होने आज नाइजीरिया के 10 सदस्यीय कलाकारों का दल रायपुर पहुंच गया है। कलाकारों आज स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट, रायपुर पहुंचने पर प्रदेश के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने राज्य सरकार की ओर से उनका आत्मीय स्वागत किया।

विदेशी कलाकारों की यह पहली टीम है जो रायपुर छत्तीसगढ़ पहुंची है। इसके साथ ही राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में शामिल होने के लिए कलाकारों के आने का सिलसिला आज से शुरू हो गया है।

इस महोत्सव में भाग लेने वाले लगभग सभी टीम 27 अक्टूबर तक पहुंच जायेंगे। 28 अक्टूबर को इन कला दलों के मार्चपास्ट के साथ भव्य एवं आकर्षक राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आगाज होगा।

नाइजीरिया के कलाकारों ने रायपुर के एयरपोर्ट पहुंचते ही छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया बोलकर अभिवादन स्वीकार किया। नाइजीरिया कला दल के प्रमुख ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से आदिवासी कला संस्कृति एवं परंपरा को सहेजने एवं उनके संवर्धन के लिए किए जा रहे कार्य महत्वपूर्ण हैं।

हम सब राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में शामिल होने के लिए काफी उत्साहित हैं। राष्ट्रीय उत्सव में विभिन्न देशों एवं राज्यों के कलाकारों के शामिल होने से यह कार्यक्रम काफी मनोरंजक होगा।  इस मौके पर संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के सचिव अन्बलगन पी़. और संचालक विवेक आचार्य उपस्थित थे।  

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