स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव सीएम की कुर्सी चाहत में दोबारा कुच किए दिल्ली, 10 दिन बाद 14 अगस्त को ध्वजारोहण करने की वजह से लौटना पड़ा था प्रदेश, समर्थकों को नेतृत्व परिवर्तन का दे रहे हैं दिलासा, आलाकमान ने सिंहदेव को मुलाकात का समय नहीं दिया था
रायपुर- छत्तीसगढ़ में ढ़ाई – ढ़ाई वाला मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है । स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के समर्थक लगातार लोगों तक इस बात को पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं । वहीं सोशल मीडिया में यह खबर तेजी से वायरल हो रही है। इसी बीच सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार स्वास्थ्य मंत्री टीएस देव ने बड़ा दावा करते हुए अपने समर्थकों से कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 17 तारीख को इस्तीफा देंगे। मंत्री सिंहदेव लगातार समर्थकों को लामबंद करने के लिए मुख्यमंत्री बदलने का संदेश दे रहे हैं। वहीं सूत्रों के मुताबिक ज्ञात हुआ है कि उन्होंने दोबारा दिल्ली कूच करने से पहले अपने नजदीकी लोगों से सीएम बघेल के 17 तारीख को इस्तीफा देने की बात कही है। इस बीच मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री दोनों 16 अगस्त को दिल्ली में रहेंगे।
‘’कांग्रेस की राजनीति को समझने वाले जानकार बाबा के दावे को अतिरंजित बता रहे हैं। कांग्रेस की रणनीतिक टीम में शामिल एक नेता ने बाबा के इस दावे पर कहा कि बाबा टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री है या कंफ्यूजन मंत्री। दिल्ली में दस दिन टिके रहे हाईकमान ने मुलकात का समय तक नहीं दिया । एक भी विधायक साथ नहीं आया, लेकिन अपनो को रोज दिलासा देते रहे। अब नया शिगूफा छोड़कर दिल्ली लौट रहे हैं। ये भ्रम से ज्यादा अस्थिरता फैलाने की कोशिश है।‘’
सीएम की नजर प्रदेश विकास की ओर
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल सचिन तेंदुलकर की तरह सिर झुकाकर लंबी पारी खेलने के मूड में हैं। उनकी निगाह केवल बड़े स्कोर पर है। फील्ड पर कितना भी उल्टा पुल्टा बोलकर खिझाने या उकसाने (टीजिंग) की कोशिश किया जा रहा है । उन्होंने अपना संयम नहीं खोया है और प्रतिबद्ध खिलाड़ी की तरह लक्ष्य पर निगाह जमाये हुए हैं। मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर चार नए जिलों का गठन का एलान किया। न्याय योजना को विस्तार दिया जा रहा है। आलाकमान का संकेत समझकर मुख्यमंत्री प्रदेश में बड़े-बड़े कार्य को संपादित करने का प्रयास कर रहे हैं।
अनावश्यक बयानबाजी से बचने की नसीहत
आला नेतृत्व ने साफ संकेत दिया है कि छत्तीसगढ़ में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा। कोई गलत संदेश न जाये इस मकसद से आलाकमान ने मंत्री टीएस सिंहदेव को दिल्ली प्रवास के दौरान मुलाकात का वक्त तक नही दिया। इतना ही नही उन्हें अनावश्यक बयानबाजी से बचने की नसीहत भी दी गई।
टीएस सिंहदेव एआईसीसी के कई नेताओं का चक्कर काटकर अपनी ख्वाहिश जाहिर करते रहे, लेकिन राहुल गांधी से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई।
नेतृत्व परिवर्तन का कोई कारण नहीं
बताया जा रहा है कि टीएस सिंहदेव मजबूरी में 14 अगस्त को वापस रायपुर लौटे थे । एक दिन बाद फिर दबाव बनाने के मकसद से दिल्ली कूच कर गए हैं। दिल्ली आलाकमान से जुड़े सूत्रों का कहना है कि टीएस सिंहदेव हिट विकेट के मूड में हैं। कोविड के दौर में प्रदेश छोड़कर बार-बार दिल्ली में आकर दबाव बनाना अच्छा संकेत नहीं है। आलाकमान को इस समय नेतृत्व परिवर्तन की कोई वजह नहीं नजर आ रही है। एक बड़े नेता ने कहा कि टीएस सिंहदेव वरिष्ठ नेता हैं। उनकी अपनी शिकायत हो सकती है। जिसे पार्टी फोरम पर सुलझाया जा सकता है। लेकिन पार्टी इस समय मुख्यमंत्री बदलने की स्थिति में नही है।
एक अन्य नेता ने कहा कि बघेल आलाकमान के वफादार नेताओं में शामिल हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ में अपनी मेहनत से ठोस जमीन भी बनाई है। उन्होंने केंद्र की मंशा के अनुरूप न्याय जैसी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है। उनकी विश्वसनीयता और सांगठनिक क्षमता के चलते ही उन्हें असम की जिम्मेदारी दी गई और पार्टी उन्हें उत्तरप्रदेश में भी पिछड़े वर्ग से जुड़े इलाको में प्रभार देने के मूड में है। पिछले दिनों इस संबंध में उनकी आला नेताओं से मुलाकात भी हो चुकी है और जल्द ही एक और बैठक भी होने वाली है।
सिंहदेव विधायकों के समर्थन में कमजोर
गौरतलब है विधायकों के समर्थन के मामले में भी सिंहदेव कमजोर पड़ रहे हैं। ज्यादातर विधायक बघेल के साथ हैं। हालांकि सिंहदेव कैम्प से लगातार मजबूत दावेदारी बताकर समर्थन जुटाने की कोशिश जारी है। दोबारा दिल्ली जाने से पहले सिंहदेव ने अपने समर्थकों को फिर दिलासा दिया है कि जल्द ही सीएम बदला जाएगा, लेकिन इसके पीछे का तर्क और वजह पार्टी के नेताओं को भी नहीं मालूम है।
छत्तीसगढ़ में चल रही खींचतान पर पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि नेतृत्व को स्पष्ट करना चाहिए कि ढ़ाई-ढ़ाई साल का कोई फार्मूला नहीं है । प्रदेश प्रभारी पुनिया कह भी चुके हैं, जो समस्याएं हैं उसपर मिल बैठकर बात करके जल्द मामले को नहीं निपटाया गया तो नुकसान अंततः पार्टी को ही होगा। मामला जितना लंबा खिंचेगा उतनी नई दावेदारी बढ़ती जाएगी। एक नेता ने कहा कि पूर्ण बहुमत की सरकार में मुख्यमंत्री बदलने की कोई जरूरत नहीं होती और न ही इस तरह की कोई स्थिति बनेगी। बाबा अपने लिए कुछ ज्यादा हासिल करने की कोशिश जरूर कर रहे हैं, लेकिन एक सीमा से आगे जाकर दबाव बनाने की स्थिति में नही है। नेतृत्व को भरोसा है कि जल्द ही उन्हें समझा दिया जाएगा और शायद वे इसके बाद मामले को ज्यादा तूल न दें। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की खबर सूत्रों के मुताबिक मिली है, अत: हम इस खबर की पुष्टी नहीं कर सकते है ।