रायपुर। छत्तीसगढ़ में नान घोटाला मामला तुल पकड़ते जा रहा है। इस मामले में दोनो ही दिग्गज पार्टियों का आरोप – प्रत्यारोप चल रहा है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने मंगलवार को प्रेसवार्ता कर वर्तमान सरकार पर नान घोटाला में आरोपी अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाया था। जिस पर कांग्रेस प्रदेश संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नीतिन त्रिवेदी पत्रकारवार्ता में पलटवार किया है।
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि लगता है कि रमन सिंह जी अपनी याददाश्त खो बैठे हैं और 15 साल के अपने कार्यकाल को ही भुला बैठे हैं। नान घोटाला, चावल घोटाला, राशन कार्ड घोटाला, पीडीएस स्कैन में रमन सिंह की सरकार आकंठ डूबी रही। रमन सिंह के शासनकाल में लगातार 15 साल तक गरीबों के राशन में घोटाला, घपला करके राजकोष को क्षति पहुंचाई गई।
इस क्षति के लिए स्वयं रमन सिंह जवाबदार हैं। अभी छत्तीसगढ़ के लोग यह भूले नहीं है कि जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में 56 लाख 51 हजार परिवार थे, लेकिन रमन सरकार ने 73 लाख कार्ड बनवाया था। राशन बांटने वाली संस्था नागरिक आपूर्ति निगम के प्रदेश प्रमुख लीलाराम भोजवानी के घर में तीन तीन बहुओं के नाम पर बीपीएल कार्ड बने हुए थे।
ईडी के ऐसे किसी शपथ पत्र की जानकारी नहीं हैं, लेकिन यदि ऐसे किसी शपथ पत्र का अस्तित्व है जिसका दावा रमन सिंह जी ने पत्रकारवार्ता लेकर किया है तो स्पष्ट है कि ईडी केंद्र सरकार की एजेंसी है। राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा ईडी के प्रकरण में अपने प्रभाव के दुरुपयोग की बात पूरी तरह से असत्य और निराधार है। वहीं डॉ. आलोक शुक्ल को राज्य सरकार द्वारा संविदा नियुक्ति किया गया है।
इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी जो खारिज की जा चुकी है। भाजपा की ओर से एक और अपील इस मामले में की गयी है जिसमें न्यायालय का फैसला अभी नहीं आया है।
न्यायालयाधीन मामले में राजनीति अशोभनिय
नीतिन त्रेवेदी ने कहा कि अदालत में विचाराधीन मामले को लेकर राजनैतिक बयानबाजी पूर्व मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देता है। बयानबाजी करते तो भी कम से कम पत्रकारों को यह तो बता देना था कि इस मामले में उच्च न्यायालय का फैसला आ चुका है, याचिका खारिज की जा चुकी है। फिर से अपील लगाई गयी है। मामला विचाराधीन है। किसी दोष के सिद्ध होने के पहले दोषी ठहराकर पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्रकार जगत को गुमराह करने का प्रयास किया है।
दम तोड़ती राजनीति को बचाने की चाल
रमन सिंह और भाजपा की राजनीति को छत्तीसगढ़ में दम तोड़ते देख केंद्र सरकार द्वारा एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। ईडी भाजपा के इशारों पर काम कर रही है। यह इसी बात से स्पष्ट है कि रमन सिंह जी सर्वोच्च न्यायालय में सील्ड कवर में दी गयी जानकारी का न केवल उल्लेख कर रहे हैं बल्कि दूसरी ओर ईडी के उस हलफनामे में क्या लिखा है और सील्ड कवर में क्या है इसे उजागर भी कर रहा है। नान के प्रकरण में एसीबी, ईओडब्ल्यू द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष चालान पूर्ववर्ती सरकार के समय में ही प्रस्तुत किया जा चुका है। इस सरकार के मुखिया स्वयं रमन सिंह थे।
भाजपा द्वारा भ्रष्टाचारों को छूपाने का प्रयास
17 दिसंबर 2018 को कांग्रेस की सरकार बनी और अदालत में 36000 करोड़ का नान घोटाले के प्रकरण में जनवरी 2019 तक 151 गवाहों की गवाही हो चुकी थी। उसके पश्चात कोई गवाही नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में रमन सिंह द्वारा वर्तमान सरकार पर लगाये गये आरोपों की असत्यता स्वयं प्रमाणित है।
रमन सिंह सरकार में मुखिया और उनके परिवारजनों के लगातार उजागर हो रहे भ्रष्टाचार को छिपाने के लिये आनन-फानन में नान की कार्यवाही हुई और लीपापोती की जांच की गई। जब नई सरकार बनने के बाद जांच दल गठित किया गया तो भाजपा के नेताओं ने जांच रोकवाने के लिये अदालत की शरण ली।
भाजपा के 15 साल की सरकार में खासकर 2011-2014 के बीच हुए भ्रष्टाचार के दस्तावेज प्रमाण एसीबी/ईओडब्ल्यू के पास है। जांच के लिये एसआईटी गठित की जा चुकी है। एसआईटी अपनी जांच के प्रतिवेदन माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर रही है। जांच पूरी होते ही परिणाम के अनुसार कार्यवाही की जायेगी।