“गांधी हमारे अभिमान” कार्यक्रम में सीएम बघेल ने मौन प्रदर्शन के बाद कालीचरण को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा

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रायपुर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में कांग्रेस ने मौन प्रदर्शन किया. सुबह 11.30 बजे से दोपहर 1 बजे तक कांग्रेस ने प्रदर्शन किया। पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम की अगुवाई में कांग्रेस नेताओं ने विरोध जताया। इस प्रदर्शन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल हुए। गांधी हमारे अभिमान नाम से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। मंत्री कवासी लखमा के साथ मंत्री रविन्द्र चौबे, विधायक अमितेश शुक्ल, सांसद छाया वर्मा, किरणमयी नायक, शैलेश नितिन त्रिवेदी, विकास उपाध्याय, महापौर एजाज ढेबर समेत कई बड़े नेता भी मौजूद रहे।

कार्यक्रम में सीएम बघेल ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के विचार महात्मा गांधी से अलग थे, वैचारिक मतभेद थे लेकिन रंगून से रेडियो के जरिए उन्होंने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहा था। हमारी परंपरा में सभी शामिल होते हैं, दो दिन का धर्म संसद था जिसमें धार्मिक बातें होती हैं, हम किसी की आलोचना नहीं करते, सुधार की बात करते हैं।

‘कालीचरण है या गालीचरण’
सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ की धरती पर धर्म संसद का कार्यक्रम आयोजित किया गया, लेकिन धर्म संसद में अच्छी भाषा का प्रयोग नहीं किया गया। वो कालीचरण है या गालीचरण हैI अचानक प्रकट हुए और हत्यारे गोडसे की तारीफ करने लगे। आज कुछ लोग समाज को घृणा से भर देना चाहते हैं। किसने गालीचरण को हिन्दुओं का नेता बनाया? आज रामनाम जपना पराया माल अपना, जमीन की सौदेबाजी चल रही है।
हमने आपत्तिजनक भाषा का विरोध किया।

कालीचरण के पीछे क्या उद्देश्य था ये हमें नहीं पता…महापुरूषों ने महात्मा गांधी के बारे में क्या कहा वो महत्वपूर्ण है, टैगोर जी के खिलाफ बोलने वाले ये कौन होते हैं। बता दें कि गांधी हमारे अभिमान कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सबको सन्मति दे भगवान भजन के साथ मौन प्रदर्शन में शामिल हुए। सीएम ने प्रदर्शन से पहले कहा कि आइंस्टीन ने गांधी जी को लेकर कहा था कि भविष्य की पीढ़ियों को यह बात यकीन करने में मुश्किल होगी कि हाड़ मांस का बना ऐसा व्यक्ति भी कोई था।

विवेकानंद ने शिकागो में धर्म संसद में कहा था कि हम विश्व के सभी धर्मों को स्वीकार किया है, हमने सताए हुओं को अपने यहां स्थान दिया है। विवेकानंद को विवेकानंद बनाने में छत्तीसगढ़ की माटी का भी अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि नफरत फैलाने वालों से सावधान रहने की जरूरत है, ऐसे लोग समाज के लिए कोढ़ हैं। हमें कोरोना के संकट के दौर में आर्थिक मदद करने की जरूरत है न कि धर्म को लेकर लड़ाई करने की।

ईश्वर से अछूता कोई नहीं, हम सब उसी के अंश हैं, हम अहिंसा के राह पर चलते हैं, गांधी जी ने छत्तीसगढ़ के सुंदरलाल शर्मा को अपना गुरू कहा.. गांधी जी ने सबसे बड़ा जो काम किया है वो है श्रम का सम्मान, मेहनत का सम्मान है। हमारी सरकार गांधी के रास्ते पर चल रही है और धर्म के नाम पर लोगों को बांटने वाले गोडसे और सावरकर की राह पर चल रहे हैं। देश विभाजन के लिए गांधी नहीं जिन्ना और सावरकर जिम्मेदार हैं। हम नेहरू और गांधी के समाज को खंडित नहीं होने देंगे। उन्होंने इस दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ की पुलिस बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने ऐसे व्यक्ति को पकड़कर कोर्ट में खड़ा कर दिया।

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