गोधन न्याय योजना के कायल हुए संसदीय समिति के सदस्य…

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कृषि, पशुधन और स्व-रोजगार से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर रहे हैं : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

देश में किसानों की बेहतरी के लिए धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति देने के लिए केन्द्र से सिफारिश का आग्रह, मुख्यमंत्री से संसद की कृषि स्थायी समिति के सदस्यों ने की सौजन्य मुलाकात

रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से एक गोधन न्याय योजना के बहुद्देशीय परिणाम ने संसद की स्थायी कृषि समिति को बेहद प्रभावित किया है। गोधन न्याय योजना के अध्ययन-भ्रमण के लिए छत्तीसगढ़ के दो दिवसीय दौरे पर आज रायपुर पहुंची 13 सदस्यीय समिति के अध्यक्ष पी.सी. गड्डीगौडर के नेतृत्व में कल शाम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उनके निवास कार्यालय में सौजन्य मुलाकात की। समिति ने छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना से लेकर खेती-किसानी की बेहतरी के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, वनोपज संग्रहण जैसे मसलों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से विस्तार से चर्चा की।

संसद की स्थायी कृषि समिति के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से चर्चा के दौरान यह बात स्पष्ट रूप से कही कि छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना देश के लिए एक नजीर है। संसदीय समिति ने इसे पूरे देश में लागू करने की अनुशंसा की है। इस योजना को लेकर अभी अध्ययन जारी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संसदीय समिति को गांवों में निर्मित गौठान और गोधन न्याय योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने

कहा कि इस योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है, गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से हमने अब तक 100 करोड़ रूपए की गोबर खरीदी की है। अभी तक गौठानों में लगभग 10 लाख क्विंटल वर्मी एवं सुपर कम्पोस्ट का निर्माण किया गया है। लगभग 90 करोड़ रूपए की वर्मी खाद बिक चुकी है। उन्होंने बताया कि 2 रूपए किलों में गोबर खरीदी

शुरू होने से पशुपालकों, ग्रामीणों, भूमिहीनों को अतिरिक्त आय का जरिया मिला है। इससे पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ खेती-किसानी को भी लाभ हुआ है। राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है। पशुओं की खुली चराई पर रोक लगी है। इससे फसल क्षति रूकी है और दोहरी फसल की खेती को बढ़ावा मिला है। मुख्यमंत्री ने गौठानों में रूरल इंस्ट्रियल पार्क की स्थापना, इसके उद्देश्य, राज्य में पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम के बारे में भी जानकारी दी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संसदीय समिति के सदस्यों से छत्तीसगढ़ के सामाजिक-भौगोलिक स्थिति, जलवायु, खेती-किसानी, वनोत्पाद, जनजीवन आदि के  संबंध में विस्तार से जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ में वर्षा आधारित धान की खेती प्रमुखता से होती है। यहां 74 प्रतिशत से अधिक आबादी ग्रामीण है और उनका जीवन खेती-किसानी पर निर्भर है। छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत वन क्षेत्र है। यहां की 32

प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति वर्ग की है। संसदीय समिति को उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में फसल उत्पादकता और फसल विविधिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ के मान से न्यूनतम 9000 रूपए तक इनपुट सब्सिडी दी जा रही हैं। छत्तीसगढ़ में गन्ना उत्पादक किसानों को सर्वाधिक मूल्य मिल रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरप्लस धान उत्पादन को देखते हुए हमने केन्द्र सरकार से धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति मांगी है। उन्होंने कहा कि धान उत्पादक राज्यों के किसानों की बेहतरी के लिए जरूरी है कि सरप्लस धान के उपयोग के लिए इससे एथेनॉल का उत्पादन किया जाए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सहित बिहार, उत्तर प्रदेश, ओड़िसा, पंजाब, बंगाल, आसाम सहित कई धान उत्पादक

राज्यों के किसानों को इसका फायदा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने संसदीय समिति से आग्रह किया कि वह केन्द्र सरकार से धान से एथेनॉल निर्माण की अनुमति सभी राज्यों को देने के लिए सिफारिश करे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को सिर्फ एथेनॉल बनाने की अनुमति देना है बाकी एथेनॉल उत्पादन के लिए प्लांट लगाने से लेकर सभी खर्च राज्य सरकार के जिम्मे होगा। उन्होंने यह भी कहा कि एफसीआई को एथेनॉल उत्पादन की

अनुमति देना ज्यादा खर्चीला है क्योंकि धान खरीदी के बाद उसका परिवहन, मिलिंग उसके पश्चात चावल का पुनः परिवहन एफसीआई तक करने में अनावश्यक राशि व्यय होगी। केन्द्र यदि राज्यों को सीधे धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति दे दे तो यह ज्यादा लाभकारी होगा। इससे किसानों को धान का मूल्य ज्यादा मिलेगा। राज्यों पर व्यय भार कम पड़ेगा। पेट्रोलियम के आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की बचत होगी और एफसीआई में चावल के भण्डारण की समस्या भी नहीं होगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ में धान की 26 हजार किस्में है। यहां ब्लैक राईस, ब्राउन राईस सहित कई तरह की चावल का उत्पादन होता है। उन्होंने कहा कि राज्य के वनांचल इलाके में कोदो-कुटकी, रागी की खेती को देखते हुए मिलेट मिशन शुरू किया गया है। वनांचल के लोगों को खेती-किसानी से जोड़ने और उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए साढ़े चार लाख से अधिक वनवासियों उनके काबिज भूमि का पट्टा दिया गया है। राज्य में वनों पर आधारित लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए लघु वनोपज की समर्थन मूल्य की खरीदी के साथ ही वनभूमि में फलदार पौधों का प्राथमिकता से रोपण कर रहे हैं, ताकि वनांचल के लोगों को इसका लाभ मिले। इससे उनकी आमदनी भी बढ़ेगी।

मुख्यमंत्री ने समिति के अध्यक्ष और सदस्यों को इस अवसर पर शॉल और प्रतीकचिन्ह भेंट कर आत्मीय स्वागत किया। इस अवसर पर संसदीय स्थायी समिति के सदस्य ए. गणेशमूर्ति, अफजल अंसारी, अबु ताहेर खान, कनक मल कटारा, मोहन मंडावी, शारदा बेन अनिल भाई पटेल, देवजी मानसिंग राम पटेल, वेल्लालथ कोचुकृष्णन नायर श्रीकंदन, विरेन्द्र सिंह, रामकृपाल यादव, रामनाथ ठाकुर, छाया वर्मा सहित राज्य सभा सांसद फूलोदेवी नेताम, कृषि उत्पादन आयुक्त एवं सचिव डॉ. एम.गीता, संचालक कृषि यशवंत कुमार, संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं माथेश्वरन व्ही. उपस्थित थे।

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