विशेष लेख : मजबूत नीतियों ने तैयार की महिला सशक्तिकरण की नई राहें

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रीनू ठाकुर (सहायक जनसम्पर्क अधिकारी)

रायपुर। महिलाओं को यदि सशक्त बनाना है, तो उनकी शिक्षा के साथ आर्थिक सबलता के रास्ते बनाना जरूरी है। उन्हें अधिकार के साथ आगे बढ़ने के सुरक्षित अवसर देना भी जरूरी हैे। आर्थिक रूप से सशक्त महिलाएं अपने साथ पूरे परिवार को आगे ले जा सकती हैं, इसी विचार के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने के साथ स्वावलंबन की नीति अपनाई है।

महिलाओं की प्रगति के अपनाई गई नीतियों और उनके संरक्षण का ही परिणाम है कि नीति आयोग द्वारा जारी वर्ष 2020-21 की इंडिया इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार लैंगिक समानता में छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर है। यहां महिलाएं पंचायतों में 50 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सहभागिता कर रही हैं। भूमि और संपत्ति पर कानून के अनुसार महिलाओं का स्वामित्व एवं नियंत्रण सुनिश्चित कराया गया है।

सरकारी सेवाओं में महिलाओं के अधिकार सुरक्षित रहें, इसके लिए भर्ती, पदोन्नति, दस्तावेजों की छानबीन के कार्यों के लिए बनाई गई समितियों में एक महिला प्रतिनिधि अनिवार्य रूप से रखने की व्यवस्था बनाई गई है। इसके साथ ही सरकारी पदों में 30 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा सुनिश्चित की गई है। ग्रामीण महिलाओं को जिला खनिज न्यास निधि बोर्ड में ग्राम सभा सदस्यों के रूप में 50 फीसदी आरक्षण से खुद के लिए नीतियां बनाने का बड़ा अधिकार दिया गया है।

सरकारी नौकरियों, बोर्ड और पंचायतों में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के साथ ही ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए नयी पहल की गई हैं। गोधन न्याय योजना के माध्यम से महिलाओं को गौठानों में आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा गया है। इसमें लगभग 45 प्रतिशत भागीदारी महिलाओं की है। गौठानों में महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट उत्पादन के साथ-साथ कई उत्पाद तैयार कर रही हैं। तैयार खाद की बिक्री में भी उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई है।

सामान्य गोबर खाद के विक्रय की लाभांश राशि में से 90 पैसे संबंधित स्व-सहायता समूह को दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही शासकीय उचित मूल्य की दुकानों का संचालन, आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए भोजन और स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने जैसे कई महत्वपूर्ण काम बड़ी संख्या में महिलाओं को दिए गए हैं।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं का मानदेय बढ़ाया गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत उचित मूल्य दुकानों के आवंटन में महिला स्वसहायता समूहों की भागीदारी बढ़ाने के लिए उनकेे अनुभव संबंधी योग्यता को 3 वर्ष के स्थान पर 3 माह करने का निर्णय लिया गया है।

विधवा, परित्यकता, निराश्रित महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण की राह मजबूत बनाने के लिए महिला कोष के माध्यम से उन्हें कम ब्याज पर ऋण देने के साथ ही कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

महिलाओं को नई आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महिला कोष से संबंधित समूहों के 12.77 साथ करोड़ रूपये के कालातीत ऋण माफ कर दिये हैं। उन्होंने महिला समूहों के न सिर्फ ऋण माफ किये गए बल्कि ऋण लेने की सीमा को भी दो से चार गुना तक बढ़ा दिया है। इसके साथ ही महिला कोष द्वारा दिए जाने वाले ऋण में 5 गुना वृद्धि का भी निर्णय लिया है।

महिला स्वालंबन के लिए गांवों-शहरों के साथ वनांचल की आदिवासी महिलाओं को भी ध्यान में रखा गया है। दूरस्थ नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में महिलाओं द्वारा संचालित डेनेक्स गारमेंट फैक्ट्री और डेनेक्स ब्रांड अब देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाने लगा है।

वनोपज के कारोबार से महिला समूह की 50 हजार से अधिक सदस्यों को जोड़ने के राज्य सरकार के फैसले से जहां आदिवासी और ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक मजबूती मिली है वहीं मिशन क्लीन सिटी परियोजना में 10 हजार महिलाओं के जोड़े जाने से मातृ-शक्ति की हिस्सेदारी को विस्तार मिला है।

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत प्रदेश में करीब 20 लाख गरीब परिवारों की 1 लाख 85 हजार महिलाएं स्व-सहायता समूहों से जुड़ी हैं। चार हजार बहनें बीसी सखी के रूप में चलता-फिरता बैंक बन गई हैं। राज्य सरकार ने बजट में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क और सी-मार्ट स्टोर जैसी नई अवधारणा को शामिल किया है।

बिलासपुर के गनियारी में 5 एकड़ क्षेत्र में लगभग 3.81 करोड़ रूपए की लागत से बना मल्टी स्किल सेंटर महिलाओं को उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में दक्ष बनाने के साथ सशक्त बनाने का बड़ा केन्द्र बन गया है। शहरों में पौनी-पसारी योजना और गांवों में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के पीछे वास्तव में नारी की शक्ति को आगे बढ़ाने की योजना है।

 महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए न सिर्फ आर्थिक मजबूती के आधार तैयार किये गए हैं, बल्कि कामकाज के लिए सुरक्षित और भयमुक्त वातावरण देने के लिए हर संभाग में कामकाजी हॉस्टल के साथ जिला मुख्यालयों में महिला हॉस्टल बनाए जाने की शुरूआत की गई है।

कन्या छात्रावास तथा आश्रमों में महिला होमगार्ड के 2 हजार 200 नए पदों का सृजन किया गया है। मदद के लिए 370 थानों में महिला हेल्प डेस्क संचालित हैं, जिससे महिलाएं मजबूती से अपने कदम आगे बढ़ा सकें। आर्थिक मजबूती और सुरक्षा के साथ 9 जिला मुख्यालयों में नए महिला महाविद्यालय की शुरूआत के साथ महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा के रास्ते खोले गए हैं।

लाइवलीहुड कॉलेजों में कन्या छात्रावास की व्यवस्था से महिलाओं के कौशल विकास की राह आसान बना दी है। इसके साथ ही स्नातकोत्तर तक निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था से बड़ी संख्या में महिलाओं को आगे पढ़ने आ रही हैं जिससे कॉलेजों में बालिकाओं की प्रवेश संख्या बालकों से ज्यादा हो गई है।

छत्तीसगढ़ की नीतियों और सुरक्षित वातावरण का सकारात्मक प्रभाव अब छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के रूप में सामने आ रहा है। छत्तीसगढ़ की मेहनतकश महिलाओं के हौसलों का यह बुलंद आगाज निश्चित ही सुनहरे भविष्य के रूप में सामने आएगा।

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