रायपुर। जशपुर राजघराने के छोटे बेटे युद्धवीर सिंह जूदेव का निधन हो गया हैं। बैंगलोर अस्पताल में आज सुबह 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वे बीते कई दिनों से बीमार थे। लीवर और किडनी में संक्रमण के बाद उनका इलाज चल रहा था, लेकिन पिछले दो दिनों से वे वेंटिलेटर पर थे। रविवार शाम से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। युद्धवीर सिंह जूदेव के निधन से उनके समर्थकों में मातम पसर गया है।
बैंगलोर से पार्थिव शरीर जशपुर के विजय विहार पैलेस लाने की तैयारी की जा रही है। संभवतः मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। युद्धवीर सिंह जूदेव 39 साल के थे, कम उम्र में कई बड़ी जिम्मेदारियां के निर्वहन के बाद निधन से राजनीतिक गलियारे में मातम पसर गया है।

राजनीतिक कैरियर
युद्धवीर सिंह जूदेव ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत बहुत ही कम उम्र में की थी। सबसे पहले जिला पंचायत उपाध्यक्ष से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। इसके बाद चंद्रपुर विधानसभा से बीजेपी की सीट पर 2 बार विधायक रहे। इससे साथ-साथ जिला पंचायत सदस्य से लेकर संसदीय सचिव समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रह चुके हैं। युद्धवीर सिंह जूदेव जशपुर कुमार स्व. दिलीप दिलीप सिंह जूदेव के सबसे छोटे बेटे थे ।
बीजेपी के फायर ब्रांड नेता रहे युद्धवीर सिंह जूदेव अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते थे। बीते दिनों उन्होंने जशपुर स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। जूदेव ने सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिख सर्जन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी।
इससे पहले चंद्रपुर के पूर्व विधायक और जशपुर राजपरिवार के सदस्य युद्धवीर सिंह जूदेव ने रायपुर में एक निजी चैनल पर बीजेपी को व्यापरियों की पार्टी बताते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मेहनतकश बताया था । जिसके बाद मंत्री अमरजीत भगत और रविंद्र चौबे ने युद्धवीर सिंह जूदेव की काफी तारीफ की थी। जिससे उनके बीजेपी को छोड़ कांग्रेस में जाने की अटकलें लगाई जा रही थी।

बेबाक बोल के लिए थे चर्चित
अपने बेबाक बोल के चलते युद्धवीर विपक्ष में रहते हुए भी वह हमेशा चर्चित रहे। हर बात दमदारी से उठाई। फिर चाहे भ्रष्टाचार ही क्यों न हो। इसके चलते वह युवाओं में बहुत जल्द ही लोकप्रिय हो गए। कठिन चुनौतियों के बाद भी उन्होंने अपनी विशेष पहचान बनाई थी। युद्धवीर सिंह अपने स्व. पिता जूदेव सिंह के नक्शे कदम पर चलते रहे।
उनकी इसी काबिलियत ने उन्हें कम समय में ही राजनीतिक जीवन में पहचान दे दी। जिला पंचायत अध्यक्ष पद से उनका सफर शुरू हुआ, फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद वे चंद्रपुर से 2 बार विधायक चुने गए। पहली बार 2008 में और फिर 2013 में दोबारा विधायक निर्वाचित हुए। वह संसदीय सचिव और दूसरे काल में बेवरेज कॉरपोरेशन के अध्यक्ष भी बनाए गए।
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