छत्तीसगढ़ बनेगा देश का मिलेट हब : भूपेश बघेल

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  • छत्तीसगढ़ में मिलेट मिशन का हुआ शुभारंभ
  • मुख्यमंत्री की उपस्थिति में कोदो, कुटकी एवं रागी की उत्पादकता बढ़ाने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद और 14 जिलों के मध्य एमओयू
  • आई.आई.एम.आर. किसानों को देगा तकनीकी जानकारी, उच्च क्वालिटी के बीज, सीड बैंक की स्थापना में मदद और प्रशिक्षण

राज्य सरकार द्वारा आदान सहायता, समर्थन मूल्य पर खरीदी, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की विशेष पहल, मिलेट के प्रसंस्करण और वेल्यूएडिशन से किसानों, महिला समूहों और युवाओं को मिलेगा रोजगार

रायपुर, 10 सितंबर 2021 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ आने वाले समय में देश का मिलेट हब बनेगा। उन्होंने कहा कि मिलेट मिशन के तहत किसानों को लघु धान्य फसलों की सही कीमत दिलाने आदान सहायता देने, खरीदी की व्यवस्था, प्रोसेसिंग और विशेषज्ञों की विशेषज्ञता का लाभ दिलाने की पहल की है। हम लघु वनोपजों की तरह लघु धान्य फसलों को भी छत्तीसगढ़ की ताकत बनाना चाहते हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद और राज्य के मिलेट मिशन के अंतर्गत आने वाले 14 जिलों कांकेर, कोण्डागांव, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, बलरामपुर, कोरिया, सूरजपुर और जशपुर के कलेक्टरों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर के लिए आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित किया।

एमओयू के अंतर्गत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी एवं रागी की उत्पादकता बढ़ाने, तकनीकी जानकारी, उच्च क्वालिटी के बीज की उपलब्धता और सीड बैंक की स्थापना के लिए सहयोग और मार्गदर्शन देगा। इसके अलावा आई.आई.एम.आर. हैदराबाद द्वारा मिलेट उत्पादन के जुड़ी राष्ट्रीय स्तर पर विकसित की गई वैज्ञानिक तकनीक का मैदानी स्तर पर प्रसार हेतु छत्तीसगढ़ के किसानों को कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।


इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम.गीता, छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला, उद्योग विभाग के सचिव आशीष भट्ट, संचालक उद्योग अनिल टुटेजा उपस्थित थे। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च के डायरेक्टर डॉ. विलास ए.तोनापी और मुख्य वैज्ञानिक डॉ. दयाकर राव तथा 14 जिलों के कलेक्टर कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़े।

देश-विदेश में कोदो-कुटकी, रागी जैसे मिलेट की बढ़ती मांग को देखते हुए मिलेट मिशन से वनांचल और आदिवासी क्षेत्र के किसानों की न केवल आमदनी बढ़ेगी, बल्कि छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान मिलेगी। वहीं मिलेट्स के प्रसंस्करण और वेल्यूएडिशन से किसानों, महिला समूहों और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। छत्तीसगढ़ के 20 जिलों में कोदो-कुटकी, रागी का उत्पादन होता है। प्रथम चरण में इनमें से 14 जिलों के साथ एमओयू किया गया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर कहा कि कोदो, कुटकी और रागी जैसी लघु धान्य फसलें ज्यादातर हमारे वनक्षेत्रों में बोई जाती हैं। कोदो, कुटकी और रागी जैसी फसलें पोषण से भरपूर हैं। देश में इनकी अच्छी मांग है। शहरी क्षेत्रों में बहुत अच्छी कीमत पर ये बिकती हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाली कोदो, कुटकी और रागी वनांचल से बाहर निकल ही नहीं पाई है। अभी तक इन फसलों का न तो समर्थन

मूल्य तय था, और न ही इसकी खरीदी की कोई व्यवस्था थी। इतनी महत्वपूर्ण और कीमती फसल उपजाने के बाद भी इसे उपजाने वाले किसान गरीब के गरीब रह गए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अब इन फसलों की पैदावार बढ़ाने, इनकी खरीदी की अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करने और इनकी प्रोसेसिंग कर इन्हें शहर के बाजारों तक पहुंचाने के लिए मिशन-मिलेट शुरू किया है। राज्य सरकार ने कोदो, कुटकी और रागी का समर्थन मूल्य तय करने के साथ-साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दायरे में इन्हें भी शामिल किया है। इससे अब इन लघु धान्य फसलों को उपजाने वाले किसानों को भी अन्य किसानों की तरह आदान सहायता मिल सकेगी।

बघेल ने कहा कि लघु धान्य फसलों की खरीदी छत्तीसगढ़ लघु वनोपज सहकारी संघ की वन-धन समितियों के माध्यम से किया जाएगा। इन फसलों की प्रोसेसिंग करके इनका उपयोग मध्यान्ह भोजन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पोषण आहर कार्यक्रम जैसी योजनाओं में होगा। इनसे तैयार उत्पादों को महानगरों के बाजारों तक पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। मिलेट मिशन के आगामी 05 वर्षों के लिए 170 करोड़

30 लाख रुपए का प्रबंधन डीएमएफ एवं अन्य माध्यमों से किए जाने का भी निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि मिलेट मिशन के अंतर्गत कोदो-कुटकी और रागी की फसल लेने वाले किसानों को 9 हजार रूपए प्रति एकड़ तथा धान के बदले कोदो-कुटकी और रागी लेने पर 10 हजार रूपए प्रति एकड़ आदान सहायता दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लघु वनोपजों की तरह लघु-धान्य-फसलों के वैल्यू एडीशन से स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर निर्मित होंगे। कांकेर और दुर्गूकोंदल में दो प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित हो चुकी है। स्व सहायता समूहों की बहनों को इससे रोजगार मिल रहा है। लघु-वनोपजों की तरह लघु धान्य फसलों को भी हम छत्तीसगढ़ की नयी ताकत बनाना चाहते हैं। अगले चरण में ऐसे और भी जिलों के साथ एमओयू किए जाएंगे, जहां कोदो, कुटकी, रागी का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता है।

कार्यक्रम में कांकेर जिले में मिलेट प्रोसेसिंग उद्योग स्थापित करने के लिए अवनि आयुर्वेदा प्राइवेट लिमिटेड तथा महुआ प्रसंस्करण के लिए मेसर्स ब्रज कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड और उद्योग विभाग के मध्य एमओयू किया गया। कांकेर जिले में कोदो-कुटकी और रागी वेल्यू एडिशन और प्रोसेसिंग के लिए अवनि आयुर्वेदा द्वारा 5.34 करोड़ रूपए की लागत से प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना की जाएगी। इस प्रोसेसिंग प्लांट की क्षमता लगभग 5 हजार टन प्रतिवर्ष होगी। इसमें लगभग 100 लोगों को रोजगार मिलेगा। इसी प्रकार महुआ प्रसंस्करण के लिए मेसर्स ब्रज कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 25 करोड़ रूपए की लागत से प्लांट लगाया जाएगा, जिसमें प्रत्यक्ष रूप से 75 लोगों को रोजगार मिलेगा।

आई.आई.एम.आर. के डायरेक्टर डॉ. विलास ए.तोनापी ने कहा कि वर्तमान समय में लाईफ स्टाईल डिजिजेस और कुपोषण जैसी समस्या के निदान के लिए हमारे भोजन में फूड डायवर्सिटी बढ़ाने की जरूरत है। छत्तीसगढ़ में शुरू हो रहा मिलेट मिशन इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में मिलेट की पैदावार लेने वाले किसानों को राज्य सरकार द्वारा आदान सहायता उपलब्धकराना एक अच्छी पहल है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट के रूप में मनाया जाएगा। मिलेट मिशन के माध्यम से वर्ष 2023 तक छत्तीसगढ़ देश में मिलेट हब के रूप में पहचान बनाने में सफल होगा।

छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला ने कहा कि आई.आई.एम.आर. द्वारा जिलों में विशेषज्ञ तैनात किए जाएंगे, जो किसानों को मिलेट का उत्पादन बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन देंगे। राज्य स्तर पर भी सीनियर कंसलटेंट नियुक्त किया जाएगा। ये मास्टर ट्रेनर के रूप में काम करेंगे। उन्होंने बताया कि बस्तर, सरगुजा, कवर्धा और राजनांदगांव में लघु धान्य फसलों के सीड (बीज) बैंक स्थापित किए जाएंगे।

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