छत्तीसगढ़ में संग्राहकों को लघु वनोपजों के उन्नत संग्रहण तथा प्रसंस्करण का मिलेगा लाभ
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा राज्य में लघु वनोपज संग्रहण कार्य को उन्नत और बेहतर बनाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से अनुबंध किया गया है।
यह अनुबंध राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज संग्राहक आदिवासी तथा अन्य परम्परागत वनवासी परिवारों की बेहतरी की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज के संग्राहकों तथा वन-धन केन्द्रों में प्रसंस्करण तथ मूल्यवर्धन के कार्य में कार्यरत महिला स्व-सहायता समूहों को उनकी मेहनत का बेहतर मूल्य दिलाने के उद्देश्य से अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। इस संबंध में राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भारत सरकार के कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्रालय के अधीन कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा के अंतर्गत कार्यरत एक स्वशासी संस्था है।
यह देश में कृषि, उद्यानिकी, मत्स्य पालन तथा पशुविज्ञान में समन्वय स्थापित करने तथा मार्गदर्शन देने वाली सर्वाेच्च संस्था है। इस अनुबंध के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थान छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ को संग्रहण, भंडारण तथा प्रसंस्करण हेतु नवीनतम उपकरण तथा तकनीकी मार्गदर्शन उपलब्ध कराएंगे।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से समझौते के तहत उपलब्ध आधुनिकतम उपकरणों तथा तकनीकी का प्रयोग, लघु वनोपज संग्रहण में लगे लोगों की मेहनत कम करेगा तथा उन्नत संग्रहण सुनिश्चित होगा। साथ ही नई तकनीक के प्रयोग से वनोपजों की साफ-सफाई, छटाई, गोदामीकरण में सुधार तथा सरलता के साथ ‘‘छत्तीसगढ़ हर्बल्स’’ में नये उत्पादों का समावेश होगा और वन-धन केन्द्रों की उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी।
इसके अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों से उपलब्ध तकनीकी के प्रयोग से संग्राहकों तथा स्व-सहायता समूहों को अधिक आमदनी, बढ़ा हुआ लाभांश तथा छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ द्वारा संचालित समाज कल्याण की योजनाओं जैसे- सामाजिक सुरक्षा, बीमा, छात्रवृत्ति आदि का अधिक से अधिक लाभ मिलेगा।
इस तरह छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा पुनः सिद्ध किया गया है कि वह राज्य के हाशिए पर रहने वाले गरीब परिवारों के उत्थान में सदैव मददगार है। उल्लेखनीय है कि इसके पहले छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा कोदो-कुटकी एवं रागी के बेहतर प्रसंस्करण कार्य के लिए भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान के साथ समझौता किया जा चुका है।